प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि देश में प्रतिदिन करीब 20,000 करोड़ रुपये का ‘‘डिजिटल लेन-देन’’ हो रहा है और इससे देश में एक डिजिटल अर्थव्यवस्था तैयार हो रही है. उन्होंने कहा कि साथ ही साथ सुविधाएं बढ़ने के अलावा इससे देश में ईमानदारी का माहौल भी बन रहा है.
आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘‘मन की बात’’ के 88वें संस्करण में अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब तो गली-नुक्कड़ की छोटी-छोटी दुकानों में भी डिजिटल लेन-देन हो रहा है और इससे ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को सेवाएं देना आसान हो गया है.
उन्होंने दिल्ली की रहने वाली दो बहनों सागरिका और प्रेक्षा के ‘‘कैशलेस डे आउट’’ के संकल्प का अनुभव साझा किया और देशवासियों से आग्रह किया वह भी इसे अपनाएं.
उन्होंने कहा, ‘‘घर से यह संकल्प लेकर निकलें कि दिन भर पूरे शहर में घूमेंगे और एक भी पैसे का लेन-देन नकद में नहीं करेंगे.’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल लेन-देन अब दिल्ली या बड़े महानगरों तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका प्रसार सुदूर के गांवों तक हो चुका है.
गाजियाबाद की आनंदिता त्रिपाठी का अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जिन जगहों पर कुछ साल पहले तक इंटरनेट की अच्छी सुविधा भी नहीं थी वहां भी यूपीआई से लेन-देन की सुविधा उपलब्ध है. अब तो छोटे-छोटे शहरों में और ज्यादातर गांवों में भी लोग यूपीआई से ही लेन-देन कर रहे हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘सागरिका, प्रेक्षा और आनंदिता के अनुभवों को देखते हुए मैं आपसे भी आग्रह करूंगा कि कैशलेस डे आउट का अनुभव करें और इसे साझा करें.’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय देश में करीब 20,000 करोड़ रुपये का डिजिटल लेन-देन हर दिन हो रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले मार्च के महीने में तो यूपीआई लेन-देन करीब 10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इससे देश में सुविधा भी बढ़ रही है और ईमानदारी का माहौल भी बन रहा है.’’
उन्होंने कहा कि अब तो देश में फिन-टेक से जुड़े कई नये स्टार्ट-अप भी आगे बढ़ रहे हैं.
उन्होंने देशवासियों से डिजिटल लेन-देन और स्टार्ट-अप की इस ताकत से जुड़े अनुभवों को साझा करने का अनुरोध किया ताकि वह दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकें.
मोदी ने हाल में किये गये प्रधानमंत्री संग्रहालय के लोकार्पण का उल्लेख किया और कहा कि इतिहास को लेकर लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ रही है और प्रधानमंत्री संग्रहालय युवाओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन रहा है.
उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय देश की अनमोल विरासत से युवाओं को जोड़ रहा है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर मनाया जा रहा अमृत महोत्सव अब एक एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है और इस कारण युवाओं में देश के इतिहास को जानने को लेकर दिलचस्पी बढ़ रही है.
उन्होंने देशवासियों, खासकर युवाओं में देश के इतिहास के प्रति जिज्ञासा बढ़ाने के लिए सामान्य ज्ञान से संबंधित कुछ रोचक सवाल भी किए और उनसे इसका नमो ऐप या सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर जवाब मांगा.
उन्होंने कहा, ‘‘ये प्रश्न मैंने इसलिए पूछे ताकि हमारी नई पीढ़ी में जिज्ञासा बढ़े, वे इनके बारे में और पढ़ें तथा इन्हें देखने जाएं.’’
प्रधानमंत्री ने उदाहरण के तौर पर प्रधानमंत्री संग्रहालय का उल्लेख किया और इसके बारे में गुरुग्राम के रहने वाले सार्थक नाम के युवा के अनुभवों को साझा किया और देशवासियों को बताया कि जब उन्होंने इस संग्रहालय का अवलोकन किया तो कई सारी नयी जानकारियां मिलीं.
मोदी ने कहा कि देश के इतिहास और देश के प्रधानमंत्रियों के योगदान को याद करने के लिए आज़ादी के अमृत महोत्सव से अच्छा समय और क्या हो सकता है.
उन्होंने कहा, ‘‘देश के लिए यह गौरव की बात है कि आज़ादी का अमृत महोत्सव एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है. इतिहास को लेकर लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ रही है और ऐसे में प्रधानमंत्री संग्रहालय युवाओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन रहा है, जो देश के अनमोल विरासत से उन्हें जोड़ रहा है.’’
उन्होंने कहा कि देश में मौजूद संग्रहालयों के महत्व की वजह से अब लोग आगे आ रहे हैं इसके लिए दान भी कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘बहुत से लोग अपनी पुरानी और ऐतिहासिक चीज़ों को भी संग्रहालयों में दान कर रहे हैं. लोग जब ऐसा करते हैं तो एक तरह से वह एक सांस्कृतिक पूंजी को पूरे समाज के साथ साझा करते हैं. भारत में भी लोग अब इसके लिए आगे आ रहे हैं.’’
ऐसे सभी प्रयासों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज बदलते हुए समय के हिसाब से संग्रहालयों में नए तौर-तरीके अपनाने पर जोर दिया जा रहा है और उनके डिजिटलीकरण पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है.
प्रधानमंत्री ने 18 मई को पूरी दुनिया में मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करते हुए युवा वर्ग का आह्वान किया कि वे आने वाली छुट्टियों में अपने दोस्तों की मंडली के साथ किसी न किसी स्थानीय संग्रहालय को जरूर देखने जाएं.
उन्होंने युवाओं से इसके अनुभव भी साझा करने को कहा ताकि इससे दूसरों के मन में भी संग्रहालयों के लेकर एक जिज्ञासा पैदा हो और वे भी उनके बारे में जानने और समझने के लिए योजना बनाएं.
प्रधानमंत्री ने पिछले महीने ‘‘परीक्षा पर चर्चा’’ के दौरान छात्रों में गणित के विषय के डर को लेकर जताई गई चिंताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि यह ऐसा विषय है, जिसे लेकर हम भारतीयों को सबसे ज्यादा सहज होना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘गणित को लेकर पूरी दुनिया के लिए सबसे ज्यादा शोध और योगदान भारत के लोगों ने ही तो दिया है. शून्य यानी जीरो की खोज और उसके महत्व के बारे में आपने खूब सुना भी होगा. इसकी खोज न होती, तो शायद हम दुनिया की इतनी वैज्ञानिक प्रगति भी न देख पाते. कैलकुलस से लेकर कम्प्यूटर्स तक सारे वैज्ञानिक आविष्कार शून्य पर ही तो आधारित हैं.’’
मोदी ने वैदिक गणित सिखाने वाले कोलकाता के गौरव टेकरीवाल के अनुभव साझा करते हुए कहा कि वैदिक गणित से बड़ी-बड़ी वैज्ञानिक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है.
उन्होंने अनुरोध किया कि सभी माता-पिता अपने बच्चों को वैदिक गणित जरुर सिखाएं. उन्होंने कहा कि इससे, उनका विश्वास बढ़ेगा, साथ ही तार्किक क्षमता भी बढ़ेगी.