ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोविड-19 का टीका बहुत तेजी से फैल रहे कोरोनावायरस के नए प्रकार पर प्रभावी होना चाहिए. यह दावा रविवार को ब्रिटेन की मीडिया में आई खबरों में किया गया है.
उल्लेखनीय है कि ऑक्सफोर्ड के टीके का भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) से करार है और बृहस्पतिवार से पहले ब्रिटेन में इसे मंजूरी मिलने की उम्मीद है, जिसके बाद सबसे असुरक्षित वर्गों के टीकाकरण में तेजी आएगी.
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का बयान पर ‘दि संडे टाइम्स’ ने लिखा, ‘पहली प्राथमिकता 1.2 से 1.5 करोड़ लोगों के टीकाकरण की है, जिन्हें कोरोनावायरस से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होगी. एस्ट्राजेनेका के टीके की मंजूरी का अभिप्राय है कि हम वसंत ऋतु तक इन लोगों का टीकाकरण कर पाएंगे.’
सूत्रों ने चेतावनी दी है कि कोरोनावायरस के नये रूप (स्ट्रेन) ने पुराने वाले को पीछे छोड़ दिया है और वह ब्रिटेन में तेजी से फैल रहा है.
सूत्रों ने कहा, ‘नवीनतम आंकड़े ठीक नहीं है लेकिन औषधि एवं स्वास्थ्य सेवा उत्पाद नियामक एजेंसी (एमएचआरए) इस हफ्ते के मध्य तक ऑक्सफोर्ड के टीके के इस्तेमाल को हरी झंडी देगी.’
एस्ट्राजेनेका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पास्कल सोरियट ने कहा कि टीका संबंधी आंकड़े दिखाते हैं कि यह फाइजर और मॉडर्ना के टीकों की तरह ही प्रभावी है, जिन्हें 95 प्रतिशत तक प्रभावी होने की वजह से मंजूरी मिल चुकी है और यह टीका बहुत तबीयत खराब होने और अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति से बचाने में 100 प्रतिशत कारगर है.
उन्होंने कहा कि उनका टीका अत्यधिक संक्रामक वायरस के नए रूप के खिलाफ भी प्रभावी ‘होना चाहिए’. गौरतलब है कि वायरस के इस नए प्रकार की वजह से पूरे इंग्लैंड में दोबारा पूर्ण लॉकडाउन लगाना पड़ा है.