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पाकिस्तान सरकार का बड़ा फैसला, खून-खराबे के बाद कट्टर इस्लामिक दल ‘तहरीक-ए-लब्बैक’ पर लगाया बैन

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पाकिस्तान ने एक कट्टर इस्लामी पार्टी के समर्थकों की लगातार तीसरे दिन कानून प्रवर्तन अधिकारियों के साथ झड़प के बाद बुधवार को आतंकवाद अधिनियम के तहत उस पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय किया. इन झड़पों के दौरान 7 लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं.

गृह मंत्री शेख राशिद ने पत्रकारों से कहा कि तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) को 1997 के आतंकवाद रोधी अधिनियम के नियम 11-बी के तहत प्रतिबंधित किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘मैंने टीएलपी पर प्रतिबंध लगाने के लिये पंजाब सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.’

अहमद ने कहा कि बीते दो दिन में प्रदर्शनकारियों के साथ झड़पों में कम से कम दो पुलिस अधिकारियों की मौत हो चुकी है और 340 से अधिक घायल हुए हैं. मीडिया में आईं खबरों में बताया गया है कि दो प्रदर्शनकारियों की भी मौत हुई है.

पार्टी समर्थकों ने पैगंबर मोहम्मद का कार्टून प्रकाशित करने के लिये फ्रांस के राजदूत को निष्कासित करने के वास्ते इमरान खान सरकार को 20 अप्रैल तक का समय दिया था, किंतु उससे पहले ही पुलिस ने सोमवार को पार्टी के प्रमुख साद हुसैन रिज्वी को गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद टीएलपी ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया.

2018 के आम चुनाव में 25 लाख वोट हासिल करने वाली टीएलपी ने साद रिज्वी की गिरफ्तारी के बाद देशभर में सड़कों को बंद कर दिया. साद रिजवी खादिम हुसैन रिज्वी का बेटा है, जिनकी कुछ महीने पहले मौत हो चुकी है. मंत्री ने यह भी कहा कि सभी सड़कों को खाली करा लिया गया है और प्रमुख शहरों के मुख्य चौराहों से प्रदर्शनकारियों को हटाया जा चुका है.

पंजाब सरकार के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई’ को बताया वाघा सीमा के जरिये सोमवार को लाहौर पहुंचे 800 से अधिक भारतीय सिखों ने रावलपिंडी के गुरुद्वारा पंज साहिब हसनअबदाल में वैशाखी मनाई और बुधवार सुबह अपने गंतव्य पहुंच गए. उन्होंने कहा कि मंगलवार दोपहर भारतीय सिख पुलिस और रेंजर्स के साथ 25 बसों में लाहौर के गुरुद्वारा पंज साहिब हसनअबदाल के लिये रवाना हुए.

अधिकारी ने कहा, ‘टीएलपी के प्रदर्शन के दौरान सड़कें बंद होने के कारण सिख यात्री 14 घंटे के सफर के बाद बुधवार सुबह चार बजे के बाद हसनअबदाल पहुंचे, जहां पहुंचने में अमूमन तीन घंटे लगते हैं.’ कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने देशभर में टीएलपी के 2 हजार से अधिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने का दावा किया है. इनमें से अधिकतर को पंजाब से गिरफ्तार किया गया.

दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सरकार ने पिछले साल नवंबर में फ्रांसीसी राजदूत को निष्कासित करने पर सहमति जताते हुए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे. टीएलपी ने पिछले साल नवंबर में कार्टून के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया था. हालांकि फरवरी तक राजदूत को निष्कासित करने का आश्वासन दिये जाने के बाद मामला शांत हो गया था और समझौते को 20 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया.

सरकार ने टीएलपी के खिलाफ कार्रवाई की मांगों को लेकर संसद में एक विधेयक लाने का वादा किया था. टीएलपी 2017 में चर्चा में आया था जब उसने इस्लामाबाद के निकट फैसलाबाद चौराहे पर तीन सप्ताह तक विशाल विरोध प्रदर्शन किया था. तत्कालीन सरकार द्वारा कानून मंत्री को हटाए जाने के बाद टीएलपी ने शहर से लॉकडाउन हटाया था.

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