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भारत बंद के बीच कृषि बिल पर विपक्ष के विरोध पर भड़के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बताया राजनीतिक स्वार्थ

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में संसद द्वारा पारित कृषि सुधार विधेयकों को लेकर सरकार पर निशाना साधने पर विपक्षी दलों को शुक्रवार को आड़े हाथ लिया और कहा कि जिन्होंने दशकों तक किसानों के नाम पर सिर्फ नारे लगाए और ‘खोखले’ वादे किए वे आज अपने ‘राजनीतिक स्वार्थ’ के लिए उन्हीं के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहे हैं.

भारतीय जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए मोदी ने यह बात कही. संसद में पारित कृषि सुधार से संबंधित विधेयकों को किसानों के जीवन में व्यापक बदलाव लाने वाला करार देते प्रधानमंत्री ने भाजपा कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे जमीनी स्तर पर छोटे-छोटे किसानों से मिलें और कृषि विधेयकों के फायदों से उन्हें अवगत कराएं.

उन्होंने इस अवसर पर यह भी कहा कि उनकी सरकार ने बहुत ही कम समय में पिछले चुनाव में किए गए बड़े वादों को पूरा करने का काम किया है, जिनमें जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया जाना और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शामिल हैं.

प्रधानमंत्री ने कृषि सुधार संबंधी विधेयकों पर विपक्ष के विरोध को राजनीतिक स्वार्थ बताते हुए आरोप लगाया कि वे (विपक्ष) अफवाहें फैलाकर किसानों को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं.

मोदी ने कहा, ‘बहुत ही कम समय के भीतर हमने दशकों से चले आ रहे मामलों को निपटाया है. अनेक बड़े वादों को पूरा किया है. भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में जिस संकल्प पत्र को लेकर आप घर-घर, द्वार-द्वार गए थे, आज जब देखेंगे तो पाएंगे कि कितनी तेजी से काम किया जा रहा है.’

उन्होंने कहा कि ‘हर घर जल’ की योजना हो या हर गांव तक तेज इंटरनेट का वादा, ये करोड़ों देशवासियों के जीवन को आसान बनाने वाले हैं.उन्होंने कहा, ‘इसमें अनुच्छेद 370, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण जैसे वो वादे भी शामिल हैं जो दशकों की हमारी तपस्या के आधार रहे हैं.’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘संकल्प सिद्ध करने की हमारी ताकत को बनाए रखना है.’

मोदी ने कहा कि आजादी के बाद अनेक दशकों तक किसान और श्रमिक के नाम पर खूब नारे लगे, बड़े-बड़े घोषणा पत्र लिखे गए लेकिन समय की कसौटी ने सिद्ध कर दिया है कि वो सारी बातें कितनी खोखली थीं. मोदी ने ये बातें ऐसे समय में कही हैं जब देश के कई हिस्सों, खासकर पंजाब और हरियाणा में किसान संगठन कृषि से संबंधित तीन विधेयकों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 तथा कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 हैं.

उन्होंने कहा, ‘राष्ट्र हित और जनहित के बजाय सत्ता को राजनीति का हिस्सा बना लिया गया और कुछ लोगों ने किसानों और श्रमिकों के नाम पर देश में और राज्यों में अनेक बार सरकारें बना ली. लेकिन उन्हें मिला क्या? सिर्फ वादों और कानूनों का उलझा हुआ एक ऐसा जाल जिसे ना तो किसान समझ पाता था, ना ही श्रमिक भाई-बहन समझ पाते थे.’

उन्होंने कहा कि किसानों को ऐसे कानूनों में उलझा कर रखा गया जिसके कारण वह अपनी ही उपज को अपने मन मुताबिक बेच भी नहीं सकता था.मोदी ने कहा, ‘सिर्फ नारे थे, खोखले वादे थे. देश अब इन बातों को भलीभांति जानता है.’

कांग्रेस व किसी अन्य दल का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि ‘झूठ बोलने वाले’ कुछ लोग इन दिनों अपने ‘राजनीतिक स्वार्थ’ की वजह से किसानों के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहे हैं, उन्हें भ्रमित कर रहे हैं और अफवाहें फैला रहे हैं.

उन्होंने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे किसानों को ऐसी किसी भी अफवाह से बचाएं और कृषि सुधार संबंधी विधेयकों के महत्व को उन्हें समझाएं.

उन्होंने कहा, ‘ऐसे समय में भाजपा के हम सभी कार्यकर्ताओं का बहुत बड़ा कर्तव्य है. हमारी जिम्मेवारी है. क्योंकि हमें किसान के भविष्य को उज्ज्वल बनाना है. हम किसानों को कृषि सुधार की बारीकियों के बारे में जितना समझाएंगे उतना ही किसान जागरूक होगा और किसी प्रकार के भ्रम में नहीं पड़ेगा.’

मोदी ने कहा कि किसानों को कर्ज लेने की मजबूरी से बाहर निकालने के लिए उनकी सरकार ने कई अहम फैसले पूरी ताकत से लिए हैं.उन्होंने कहा, ‘अब दशकों बाद किसान को अपनी उपज पर सही हक मिल पाया है. कृषि में जो सुधार किए गए हैं उनका सबसे ज्यादा लाभ छोटे और सीमांत किसानों को मिलेगा.’

प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों की तरह ही दशकों तक देश के श्रमिकों को भी कानूनों के जाल में उलझा कर रखा गया. श्रम सुधार कानूनों के तहत राजग की सरकार ने श्रमिकों के स्वास्थ्य, उनकी सुरक्षा, उनके वेतन को लेकर कानूनों को सरल और सहज बनाया है.उन्होंने कहा, ‘नए कानूनों के माध्यम से लगभग 50 करोड़ संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को वेतन मिले, वह भी समय पर, इसे कानूनी रूप से अनिवार्य कर दिया गया है.’

श्रमिक सुधार विधेयकों की खूबियों की विस्तार से जानकारी देते हुए मोदी ने दावा किया, ‘हमें श्रमिकों के आशीर्वाद मिलने वाले हैं. नए प्रावधानों से श्रमिकों का सामाजिक सुरक्षा कवच और मजबूत होगा. नए प्रावधान देश के उद्योगों के लिए भी एक प्रकार से काम करना सरल और आसान बनाएंगे. संगठित क्षेत्र का दायरा भी बढ़ेगा.’

भाजपा मुख्यालय में पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्य सभा में नेता सदन थावरचंद गहलोत सहित कई केंद्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ पार्टी नेताओं की मौजूदगी के बीच प्रधानमंत्री ने रेहड़ी-पटरी वालों के लिए हाल ही में शुरू की गयी सामाजिक सुरक्षा योजना, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण के प्रावधान को 10 और साल के लिए बढ़ाए जाने तथा सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था किए जाने का जिक्र भी किया.

उन्होंने कहा, ‘गरीब, श्रमिक, महिलाएं, किसान, इनका आत्मसम्मान, इनका आत्मगौरव ही आत्मनिर्भर भारत की प्राण शक्ति है. भारत की प्रेरणा है. इन्हीं से भारत की प्रगति संभव है. भाजपा की हर सरकार चाहे वह केंद्र में हो या राज्य में, यही प्रयास कर रही हैं कि समाज के सभी बंधुओं को सही अवसर मिले. कोई खुद को छूटा हुआ महसूस ना करे.’

उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय की प्रेरणा से आगे बढ़ने वाली भाजपा का ‘वैचारिक तंत्र और राजनीतिक मंत्र साफ है. गोलमोल नहीं है. हमने उसे जी करके दिखाया है. हमारे लिए राष्ट्र सर्वोपरि ही हमारा मंत्र है. यही हमारा कर्म है. हमारे सारे काम इसी एक मंत्र में समाहित हैं.’

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