प्रधानमंत्री चौथी बार लाल किले से भाषण देने जा रहें हैं। इस बार पीएम मोदी का भाषण काफी अहम होने की उम्मीद है क्योंकि अपने मन की बात में उन्होंने कहा था कि इंडिपेंडेंस डे की उनकी स्पीच देश के 125 करोड़ नागरिकों की आवाज होगी। इस बार अपने भाषण के लिए पीएम ने आम आदमी की राय मांगी थी। कयास लगाये जा रहें है कि पीएम मोदी के भाषण में बिहार की राजनीति, चुनाव सुधार, चीन सीमा विवाद, दक्षिण भारत की उथलपुथल और आने वाले विधानसभा चुनावों छाये रह सकतें हैं।
हाल ही में बिहार में बड़ी राजनीतिक उठापटक हुई है। इसकी खास बात यह है कि ये हुई भ्रष्टाचार के नाम पर है। नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार में संलिप्तता और उस पर सफाई ना देने के चलते अपनी सहयोगी पार्टी आरजेडी का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया। मोदी इस मामले को सनद रख ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ बनाने की अपील कर सकते हैं।
वहीँ अंदर खाने बात चल रही है कि देश में बड़े चुनाव सुधार के तौर पर कई राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव एक साथ करवा सकती है। मोदी इस बात की चर्चा कई बार कर चुके हैं कि चुनावों में बहुत ज्यादा आर्थिक और जन हानि होती रहती है।
उम्मीद है कि चीन सीमा विवाद को भी मोदी अपने भाषण में जगह दे सकते हैं। दरअसल चीनी मीडिया इन दिनों लगातार भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है। ऐसे में मोदी के लिए चीन को उत्तर देने के लिए यह सबसे उपयुक्त स्थान और समय होगा। इससे पूरे विश्व को भी एक संदेश जाएगा कि भारत अब किसी की गीदड़भभकियों से डरने वाला नहीं है।
पीएम मोदी अपने भाषण में दक्षिण भारत की राजनीतिक उथलपुथल का जिक्र भी कर सकते हैं। एआईडीएमके के दोनों गुट अब किसी भी समय एक हो सकते हैं। मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी और पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम के बीच चल रहा गतिरोध टूट सकता है। दोनों गुटों के मध्य विलय के जबरदस्त आसार बन रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसमें ना केवल दिलचस्पी ले रहे हैं बल्कि पहल भी कर रहे हैं।
साथ ही मोदी इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव वाले राज्यों पर भी अपने भाषण में बात कर सकते हैं। गुजरात और हिमाचल प्रदेश की विधानसभाओं के लिए इस साल के अंत तक चुनाव होने हैं। दोनों ही प्रदेश भारी बारिश और बाढ़ से परेशान हुए हैं। मोदी बाढ़ का जायजा लेने गुजरात दौरे भी गए थे। ऐसे में बाढ़, रेस्क्यू ऑपरेशन और अन्य योजनाओं का सहारा लेकर मोदी इन राज्यों की चर्चा कर सकते हैं।