डिफॉल्टरों से कर्ज वसूली के लिए पंजाब नैशनल बैंक के कर्मचारी गाँधीगिरी के रास्ते पर निकल पड़ें है। इसके तहत बैंक के कर्मचारी डिफॉल्टरों के दफ्तरों और घरों के बाहर शांति से तख्तियां लेकर बैठते हैं। बैंक ने उम्मीद जताई है कि इस तरह से भुगतान नहीं करने वाले पुराने कर्जदारों से तक़रीबन 150 करोड़ रुपये की वसूली की जा सकेगी । सूत्रों के मुताबिक पंजाब नैशनल बैंक का गांधीगीरी अभियान एक साल तक चलाया जायेगा।
लगभग 13,000 करोड़ रुपये के घोटाले के सामने आने के बाद पंजाब नैशनल बैंक को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। बताया जाता है कि मिशन गांधीगीरी की शुरुआत पीएनबी ने मई, 2017 में की थी। इसके तहत बैंक की एक टीम कर्जदार के दफ्तर या घर जाकर वहां शांति से बैठती है। फिलहाल बैंक के 1,144 फील्ड कर्मचारी इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं। बैंक की तरफ से एक बयान में कहा गया है कि इस मुहिम के तहत बैंक का इरादा डिफॉल्टरों को बातचीत की मेज पर लाना है जिससे हर महीने 100 से 150 करोड़ रुपये का डूबा कर्ज वसूला जा सके। बैंक पहले ही 1,084 लोगों को जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाला (विलफुल डिफॉल्टर) घोषित कर चुका है। बैंक ने 260 डिफॉल्टरों की तस्वीरों को अखबारों में भी छपवाया है।
पंजाब नैशनल बैंक ने डिफॉल्टरों के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाते हुए लगभग 150 पासपोर्ट जब्त किए गए हैं। बैंक ने 37 डिफॉल्टरों के खिलाफ FIR भी दर्ज कराई है। इसके अलावा बैंक ने कर्ज वसूली के लिए डेटा विश्लेषण व जोखिम प्रबंधन के लिए एक प्रमुख क्रेडिट एजेंसी से गठजोड़ किया है। दिसंबर, 2017 तक पीएनबी की सकल गैर निष्पादित आस्तियां कुल कर्ज का 12.11 प्रतिशत यानी 57,519 करोड़ रुपये थीं।
इसके अलावा बैंक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और ऐनालिटिक्स की मदद से अपने इंटरनल सिस्टम में सुधार कर रहा है। पीएनबी ने यह भी कहा कि उसकी 2 खास तरह की वन टाइम सेटलमेंट (OTS) स्कीम से एनपीए की रिकवरी में काफी मदद मिली है। बैंक के मुताबिक, सालाना औसतन 70,000 से 80,000 एनपीए अकाउंट से लोन की रिकवरिंग होती है, लेकिन OTS के जरिए 10 महीने में ही 2,25000 अकाउंट्स से रिकवरी की जा चुकी है।