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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की लाल किले में हिंसा की निंदा, कहा- गणतंत्र दिवस जैसे पवित्र दिन का अपमान दुर्भाग्यपूर्ण

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कोरोना महामारी के दौरान केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और टीकाकरण अभियान की सराहना करते हुए शुक्रवार को कहा कि सरकार ने अपने निर्णयों से देश के संघीय ढांचे की सामूहिक शक्ति का अद्वितीय उदारण प्रस्तुत किया है.

कोविंद ने बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए पिछले एक साल के दौरान केंद्र सरकार की ओर से किए गए कई कार्यों का उल्लेख किया.

उन्होंने कहा, ‘‘चुनौती कितनी ही बड़ी क्यों न हो, न हम रुकेंगे और न भारत रुकेगा। भारत जब-जब एकजुट हुआ है, तब-तब उसने असंभव से लगने वाले लक्ष्यों को प्राप्त किया है.’’

राष्ट्रपति ने कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और छह संसद सदस्यों के निधन पर दुख जताया और श्रद्धांजिल अर्पित की.

उन्होंने कहा, ‘‘ महामारी के खिलाफ इस लड़ाई में हमने अनेक देशवासियों को असमय खोया भी है. हम सभी के प्रिय और मेरे पूर्ववर्ती राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन भी कोरोना काल में हुआ. संसद के 6 सदस्य भी कोरोना की वजह से असमय हमें छोड़कर चले गए. मैं सभी के प्रति अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.’’

कोविंद ने कहा, ‘‘मुझे संतोष है कि सरकार के समय पर लिए गए सटीक फैसलों से लाखों देशवासियों का जीवन बचा है. आज देश में कोरोना के नए मरीजों की संख्या भी तेजी से घट रही है और जो संक्रमण से ठीक हो चुके हैं उनकी संख्या भी बहुत अधिक है.’’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘यदि अपने महत्व को बढ़ाना है तो दूसरों पर निर्भरता को कम करते हुए आत्मनिर्भर बनना होगा.’’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘अपने सभी निर्णयों में मेरी सरकार ने संघीय ढांचे की सामूहिक शक्ति का अद्वितीय उदाहरण भी प्रस्तुत किया है. केंद्र और राज्य सरकारों के बीच इस समन्वय ने लोकतंत्र को मजबूत बनाया है और संविधान की प्रतिष्ठा को सशक्त किया है.’’

कोविंद ने कहा, “पिछले दिनों हुआ तिरंगे और गणतंत्र दिवस जैसे पवित्र दिन का अपमान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. जो संविधान हमें अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है, वही संविधान हमें सिखाता है कि कानून और नियम का भी उतनी ही गंभीरता से पालन करना चाहिए:”

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