”सिंहासन खाली करो कि जनता आती है” कविता रचने वाले राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के घर पहुंचकर प्लुरल्स पार्टी की प्रेसिडेंट पुष्पम प्रिया चौधरी ने कहा कि “समर शेष है, उस स्वराज को सत्य बनाना होगा, जिसका है ये न्यास उसे सत्वर पहुंचाना होगा”.
ज्ञानपीठ सम्मान से सम्मानित राष्ट्रकवि दिनकर की विरासत की उपेक्षा पर सुश्री चौधरी ने लिखा ‘आपकी पढ़ी किताबें, उन पर आपके दस्तखत! लेकिन आपके पन्नों को शेक्सपीयर और चार्ल्स डिकेंस के देश की तरह हम नहीं रख सके, उनकी क़ीमत करोड़ों में नहीं आंकी गई, दीमकों के हवाले रही. बस ‘दिनकर जयंती’ मनाते रहे, जाहिल सरकारों को चुनते रहे.दिल टूट गया, शर्म से सिर झुक गया. बदलेंगे इसको”.
सामाजिक-आर्थिक विषमताओं के विरुद्ध लिखने वाले राष्ट्रकवि दिनकर ने उर्वशी, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा जैसी कालजयी रचनाओं को गढ़ा. “अपने समय का सूर्य हूँ मैं, अंध तम के भाल पर पावक जलाता हूँ” लिखने वाले रामधारी सिंह को “दिनकर” उपनाम से भी जाना जाता है. राष्ट्रकवि की कविता आज भी आईना दिखाती है. आज भी वह ‘केवल जलती मशाल” है. वह मशाल जो समाज को रोशनी दिखाती है.
‘संस्कृति के चार अध्याय’ के लिए साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित राष्ट्रकवि दिनकर की कविता “समय के रथ का घर्घर नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है” आज भी सत्ता के लिए भी एक चेतावनी है. यह चेतावनी है, उनके लिए भी जो सत्ता के मद में जनता के सरोकारों को भूल गए हैं “ओ रेशमी नगर के वासी!, वो छवि के मतवाले! मखमल के पर्दों के बाहर, फूलों के उस पार, ज्यों का त्यों है खड़ा, आज भी मरघट सा संसार”.
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने लिखा “वीर खींच कर ही रहते हैं इतिहासों में लीक”, पुष्पम प्रिया चौधरी बिहार की राजनीति में नई किस्म की सकारात्मक राजनीति की लीक खींचने हेतु प्रयासरत है. इसी क्रम में वे अपने प्रिय ओजस्वी कवि का आशीर्वाद लेने सिमरिया उनके आवास पर जून माह के प्रथम सप्ताह में पहुंची थी.