बिहार की पूर्व और एकमात्र महिला मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भोजपुरी में ट्विट द्वारा बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल किया है कि “इ कंहा के इंसाफ बा, छलनी के दोष सूपा के दियाई? इन्हाँ गजबे राज चलता. एमएलए गईलन आपन लईका के लियाए कोटा. पास देहलन कलक्टर के आदेश पर एसडीओ, आ अब पोल खुलत ता गाज गिरल ड्राइवर पर. इ खेला सभे बुझता. बा करेजा त एमएलए और कलक्टर के साज. सब चलती कमजोर ए लोगन पर चली?” (यह कंहा का इंसाफ है कि छलनी का दोष सूप को दिया जाएगा? यह गजबे चल रहा है एमएलए अपने लड़के को लाने कोटा गए. पास कलक्टर के आदेश पर एसडीओ ने दिया. और अब पोल खुल रहा है तो गाज ड्राइवर पर गिरा दिया. यह खेल सबको पता चल रहा है. अगर हिम्मत है तो एमएलए और कलक्टर को सजा दें. सब हुकुम कमजोर लोगों पर ही चलेगा.)
राबड़ी देवी ने यह राजनीतिक मोर्चा तब खोला है जब भारतीय जनता पार्टी के हिसुआ विधायक और विधानसभा में अपने पार्टी के सचेतक अनिल सिंह द्वारा अपने पुत्र को कोरोना लॉकडाउन के दौरान कोटा राजस्थान से ले आने के बाद पहले विधायक को ई–पास निर्गत करनेवाले नवादा सदर अनुमंडल अधिकारी अनु कुमार, फिर विधायक के वाहनचालक शिवमंगल चौधरी और विधायक के सुरक्षाकर्मियों शशि कुमार और राकेश कुमार को निलंबित कर दिया.
इस मामले में बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष तथा राष्ट्रीय जनता दल की नेता राबड़ी देवी ने सरकार से पूछा कि नियमों का उल्लंघन करने वाले बीजेपी विधायक पर कोई कारवाई नहीं और मुलाजिमों को सजा क्यों? सरकार का इतना पक्षपाती रवैया क्यों? बड़े अफ़सरों को बचाओ, छोटे कर्मचारियों को फंसाओ यही सरकार की नीति रही है.
इस प्रकरण ने निलंबन की एक श्रृंखला शुरू कर दी है.
निलंबन एक —बिहार सरकार ने मंगलवार को बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नवादा सदर अनुमंडल दंडाधिकारी अनु कुमार को निलंबित कर दिया था. इनका निलंबन नवादा के जिलाधिकारी के रिपोर्ट के आधार पर की गई थी जिसके अनुसार ‘अनुमंडल दंडाधिकारी ने पास निर्गत करने से पहले आवेदन की पूरी तरह से छानबीन नहीं की और अन्तर्राज्यीय पार निर्गत कर दिया. जिलाधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में अनुमंडल दंडाधिकारी को गंभीर लापरवाही का दोषी मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की थी.
निलंबन दो —विधानसभा अध्यक्ष ने संज्ञान लेते हुए विधायक के परिचालक शिवमंगल चौधरी से स्पष्टीकरण माँगा था, परन्तु इसके स्पष्टीकरण से असंतुष्ट होकर निलबंन का आदेश जारी कर दिया गया. नियमानुसार, वाहनचालक को राज्य से बाहर जाने के पहले विधानसभा सचिवालय से अनुमति लेनी पड़ती है परंतु शिवमंगल चौधरी कोटा जाने के पहले अनुमति नहीं ली और यही निलंबन का आधार बना.
निलंबन तीन – चार —-विधायक अनिल सिंह की सुरक्षा में तैनात दोनों सुरक्षा कर्मियों को पुलिस विभाग द्वारा निलंबित कर दिया गया. नवादा के एसपी द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया था परंतु इसका उचित जवाब नहीं देने के कारण दोनों अंगरक्षकों शशि कुमार और राजेश कुमार को एसपी द्वारा निलंबित कर दिया गया है. सुरक्षाकर्मी बिना किसी सक्षम प्राधिकार से अनुमति लिए विधायक के साथ कोटा गए थे. निलंबन अगला किसका ?
इस प्रकरण में अब तक अनुमंडल अधिकारी, वाहनचालक और दो सुरक्षाकर्मी सहित चार कर्मचारी निलंबित किए जा चुके हैं. सवाल यह उठता है कि क्या विधायक की सरकारी गाड़ी के परिचालक शिवमंगल चौधरी अपने मर्जी से कोटा ले गए थे? क्या विधायक के सुरक्षाकर्मी अपने मर्जी से विधायक के साथ कोटा गए थे. जब विधायक के वाहनचालक और सुरक्षाकर्मीयों को कारण बताओ नोटिस के द्वारा स्पष्टीकरण माँगा गया तो विधायक से क्यूँ नहीं मांगी गई कि सरकारी वाहन का दुरुपयोग अपने व्यक्तिगत कार्यों के लिए कैसे किया? क्या सरकारी वाहन को राज्य से बाहर ले जाने की पूर्व सुचना विधानसभा सचिवालय में दी गई थी? यदि नहीं, तो एकसमान काम के लिए वाहनचालक और सुरक्षाकर्मी निलंबित किए जा सकते हैं तो यह कार्रवाई माननीय विधायक अनिल सिंह पर भी होनी चाहिए.
बासा के सूत्रों की मानें तो नवादा सदर के अनुमंडल अधिकारी को यह आदेश जिलाधिकारी ने दिया था (हालाँकि इसका कोई लिखित साक्ष्य नहीं है). पर सवाल यह उठना लाजिमी है की क्या एक समान कार्य के लिए दो अलग–अलग दंड–विधान नीतीश राज में चलता है? यदि ऐसा है तो राबड़ी देवी ने जो आरोप लगाया वह सही प्रतीत होता है कि ‘नीतीश राज में कमजोर लोगों पर ही सारा जोर चलता है’. उन्होंने नीतीश कुमार को चुनौती दिया है कि अगर ‘बा करेजा त एमएलए और कलक्टर के साज’. इस निलंबन की चरम परिणति विधायक के निलंबन के साथ ही ख़त्म होगी, पर यह भविष्य की गर्त में है कि राजनीति अपना कौन सा रंग दिखाती है.
अब देखना होगा कि नीतीश कुमार राजधर्म निभाते हैं या गठबंधन धर्म?
मुकेश कुमार
(लेखक पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में मीडिया के पीएचडी स्कॉलर हैं. यह लेखक के निजी विचार हैं )