मोदी सरकार पर हमलावर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने ‘आर्थिक कुप्रबंधन’ को लेकर एक बार फिर हमला बोला है. राहुल गांधी ने मौजूदा वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट के अनुमानों की पृष्ठभूमि में दावा किया कि सरकार का आर्थिक कुप्रबंधन लाखों परिवारों को बबार्द करने वाला है, जिसे अब स्वीकार नहीं किया जाएगा. उन्होंने देश की आर्थिक विकास दर में गिरावट के पूर्वानुमान से जुड़ी कुछ खबरें शेयर करते हुए ट्वीट किया, ‘भारत का आर्थिक कुप्रबंधन एक त्रासदी है जो लाखों परिवारों को बर्बाद करने वाला है. इसे अब मौन रहकर स्वीकार नहीं किया जाएगा.’
उधर, सरकार ने सोमवार को कहा कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं. कोरोनावायरस संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पुनरुद्धार एवं वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिए अनुकूल नीतिगत उपायों के साथ आने वाले समय में और तेजी से पुनरुद्धार की उम्मीद है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की जून में जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत की वृद्धि दर शून्य से नीचे 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है. यह अप्रैल, 2020 में जारी आईएमएफ के अनुमान के मुकाबले 6.4 प्रतिशत अंक कम है.
इससे पहले राहुल गांधी ने लद्दाख में चीन के पीछे हटने और चीनी पक्ष से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल से बातचीत को लेकर कुछ सवाल उठाए थे. मंगलवार को उन्होंने एक ट्वीट करते हुए चीनी भूमिका पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि बातचीत में दोनों देशों के बीच भारत की ओर से यथास्थिति को कायम रखने पर जोर क्यों नहीं दिया गया?
राहुल ने अपने ट्वीट में NSA अजीत डोवाल और चीनी स्टेट काउंसिलर वांग यी की बातचीत को लेकर दोनों पक्षों की ओर से जारी किए गए बयान को शेयर किया. उन्होंने लिखा ‘राष्ट्रहित सर्वोपरि है. भारत सरकार का कर्तव्य है कि वो इसकी रक्षा करे. फिर
1. यथास्थिति को लेकर दबाव क्यों नहीं डाला गया है?
2. चीन हमारे भूभाग में 20 निहत्थे जवानों की हत्या को सही कैसे ठहरा पा रहा है?
3. गलवान घाटी में हमारी क्षेत्रीय संप्रुभता का जिक्र क्यों नहीं है’
बता दें कि सोमवार को विदेश मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई थी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल की चीनी स्टेट काउंसिलर वांग यी से इलाके में शांति कायम करने को लेकर बातचीत हुई थी. सोमवार को ही यह खबर भी आई थी कि लद्दाख में एक्चुअल लाइन ऑफ कंट्रोल (LAC ) से दोनों देशों की सेनाएं आपसी सहमति से पीछे हट रही हैं.