राजस्थान की सियासत में पिछले 15 दिनों चल रही रस्साकशी में शुक्रवार को हाईकोर्ट के फैसले ने और बल दे दिया है. अब तक कोर्ट के फैसले पर टकटकी लगाए बैठे लोगों को लग रहा था कि पायलट और गहलोत गुट की अदावत का अंत होगा और शुक्रवार को प्रदेश का सियासी संकट टल जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सचिन पायलट गुट की ओर से केंद्र सरकार को इस मामले में पक्षकार बनाने की अर्जी पर अब हाईकोर्ट केंद्र सरकार का पक्ष भी सुनेगा. यही नहीं हाईकोर्ट ने स्पीकर के नोटिस पर दायर पायलट गुट की याचिका पर फैसला सुनाते हुए यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश भी दिये हैं. ऐसे में अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं. लेकिन इस दौरान मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने प्लान-बी पर काम शुरू कर दिया है.
राजस्थान हाईकोर्ट से पायलट गुट को मिली राहत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की परेशान बढ़ा दी है. ऐसे गहलोत अब अपनी सरकार बचाने के लिए ‘प्लान-बी’ पर काम शुरू कर दिया है. कांग्रेस के साथ निर्दलीय विधायकों काे अपनी आगे की रणनीति से अवगत कराएंगे. विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी. विधायक दल की बैठक में फ्लोर टेस्ट में किसी तरह की बगवात से बचने के लिए विश्वास जीतने की अंतिम कोशिश होगी. कुछ विधायकों से मुख्यमंत्री वन-टु-वन बातचीत भी कर सकते हैं.
विधायक दल की बैठक में बहुमत या विधायकों का मन टटोलने के बाद गहलोत विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के लिए प्लान करेंगे. इसके लिए वो राज्यपाल से मिलेंगे. राज्यपाल यदि सरकार के अल्पमत में होने की बात नहीं कहते है तो भी वो गहलोत राज्यपाल के सामने विधायकों की परेड करवा सकते हैं. करीब 86 कांग्रेस विधायकों के साथ गहलोत संभव है निर्दलीय और अन्य समर्थित विधायकों को साथ लेकर राजभवन पहुंच सकते हैं.
हाईकोर्ट की ओर से आने वाले फैसले में यदि विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई को सही ठहराया जाता है तो सचिन पायलट सहित 18 विधायकों की संख्या घट जाएगी. इससे सदन में मौजूदा सदस्यों की संख्या कम होने के साथ ही अशोक गहलोत को भी बहुमत साबित करने में आसानी हो जाएगी. फिलहाल अशोक गहलोत का दावा है कि उनके पास 100 से अधिक विधायक है और यदि पायलट गुट बाहर होता है तो सदन में उन्हें महज 91 विधायकों का साथ चाहिए होगा. ऐसे में गहलोत खेमे का पलड़ा भारी पड़ेंगा.