रमजान शुरू हो चुका है। दरअसल रमजान इस्लामी कैलेंडर का नवां महीना माना जाता है, जो कि नए चांद के साथ ही शुरू होता है फिर नए चांद के साथ ही खत्म होता है। इस दौरान एक महीने तक रोजे रखे जाते हैं। जिसके अगले दिन ईद उल फितर मनाई जाती है।
रमजान के दौरान रोजे रखना आसान नहीं होता। आपकी एक छोटी सी गलती से रोला टूट जाता है। जानकारों के मुताबिक इसके लिए सख्त नियमों का पालन किया जाना चाहिए। रमजान के दौरान
- रोजे रखने पर खाने के बारे में भी नहीं सोचा जाता।
- बदनामी करना, लालच करना, झूठ बोलना, पीठ पीछे बुराई करना और झूठी कसम खाने से रोजा टूट जाता है।
- रोजे रखने वाले सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के दौरान कुछ भी नहीं खाते
- सूरज निकलने से पहले सहरी की जाती है, मतलब सूरज निकलने से पहले ही खाना पीना किया जा सकता है।
- रोजदार सहरी के बाद सूर्यास्त तक कुछ नहीं खाते और सूरज अस्त होने के बाद इफ्तार करते हैं। इफ्तार में रोजा खोला जाता है।
- रमजान के पवित्र माह में पांच बार की नमाज और कुरान पढ़ी जाती है।
रमजान से जुड़ी मान्यताएं
माना जाता है इस पवित्र महीने में जन्नत के दरवाजे खुल जाते है और दोजख यानि की नरक के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान किए गए अच्छे कर्मों का फल भी कई गुना तक बढ़ जाता है।
– रमजान में अल्लाह से अपने सभी बुरे कर्मों के लिए माफी भी मांगी जाती है।
– रमजान में रोजा रखा जाता है। रोजेदार महीनेभर भूखे प्यासे रहकर इबादत करते हैं। वे सहरी और इफ्तार ही ले सकते हैं। इस दौरान झूठ बोलना, चुगली करना, गाली गलौच करना आदि नहीं करना चाहिए।