पितृ पक्ष के अंतिम दिन को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है. इस साल सर्वपितृ अमावस्या 17 सितंबर, बृहस्पतिवार की है. हिन्दू पंचांग के मुताबिक हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या होती है. इसे पितृ विसर्जन अमावस्या भी कहा जाता है.
15 दिन पहले आए पितरों को इस दिन विदा किया जाता है इसलिए इसे पितृ विसर्जन अमावस्या कहा जाता है. इस दिन से पितृ पक्ष समाप्त होता है. माना जाता है कि पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन अगर पितृ दोष से मुक्ति पाने के उपाय किए जाए तो यह बहुत कारगर साबित होते हैं.
पितृदोष से मुक्ति के उपाय :- एक पीतल का दीपक लें. उसमें सरसों का तेल डालकर जलाएं. यह दीपक दक्षिण दिशा में रखें. सर्वपितृ अमावस्या की शाम को ही यह उपाय करें. संभव हो तो प्रयास करें कि यह दीपक पितृ विसर्जन अमावस्या की पूरी रात जलता रहे. इसे पितृ दोष हटाने के उपायों में सबसे सरल माना गया है.
सर्वपितृ अमावस्या की शाम गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करें। एक दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर यह पाठ करें. पाठ पूरा होने के बाद भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए उनसे और अपने घर से पितरों से प्रार्थना करें कि वह आपके घर से पितृ दोष को दूर करें. इसके बाद पितरों को जलेबी का भोग लगाएं.
पितृ विसर्जन अमावस्या की शाम को पितरों के निमित्त भोजन बनाकर एक पत्तल में रखें फिर इस भोजन को किसी वृद्ध को खिलाएं अन्यथा बबूल या पीपल के पेड़ की जड़ में उस भोजन को रख दें. भोजन रखते समय यह प्रार्थना करें कि हे पितृ देव आप यह भोजन खाकर तृप्त हो जाएं और हमारे घर से पितृ दोष को दूर करें. यह उपाय करने के बाद पीछे मुड़कर न देखें.
पितरों को विदा करने से पहले उन्हें जलेबी का भोग लगाएं. फिर शाम को घर में उस स्थान पर पितरों के निमित्त जलेबी रखें जहां आप पीने के पानी का बर्तन रखते हों. साथ ही कुत्तों को जलेबी खिलाएं. यह उपाय बहुत सरल है. इसका असर बहुत जल्दी देखने को मिलता है. ‘ओम श्री सर्व पितृ दोष निवारणाय क्लेशम् हं हं सुख शांतिम् देहि फट: स्वाहा’ का जाप करें.