श्रावण कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि, धनिष्ठा नक्षत्र व सौभाग्य योग के अद्भुत संयोग में सावन महीने के पहले सोमवार (सोमवारी श्रावण) को शिवमंदिरों और शिवालयों में श्रद्धा और आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। बड़ी संख्या में सुबह से ही श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर दुद्धाभीषेक एवं जलाभिषेक कर भगवान शिव तथा माता पार्वती से अपनी मन्नत मांगी। इस दौरान मंदिरों में हर – हर महादेव और ओंम नमः शिवाय के उदघोष गूंजते रहे।शिवभक्तों ने बिल्वपत्र,भांग,धतूरा,दूध, शहद,इत्र,कनेर पुष्प,दही,अनार,पान पत्र,चन्दन,नारियल अर्पित कर भूत भावन अवघड़दानी सदाशिव को अभिषेक किया।
- महिलाएं एवं कुवाँरी कन्याएं रखी श्रद्धा की व्रत
- व्रह्ममुहूर्त से ही शुरू हुआ जलाभिषेक का सिलसिला,जो दोपहर तक चलता रहा
- भारी बारिश में भी पीताम्बर वेषधारी श्रद्धालुओं का तांता शिवमंदिरों की ओर बढ़ता ही रहा
- आस्था को डिगा नहीं सका देवराज इन्द्र का प्रकोप
श्रावण मास का आगमन शनिवार (28/07/018) को श्रावण कृष्ण प्रतिपदा,श्रावण नक्षत्र व प्रीति योग के अद्भुत संयोग में हुआ।इस मौके पर शिवालयों में ओंम नमः शिवाय के पंचाछरी मन्त्रों की गूंज रही।घन्ट व नगारों की करतल आवाज गूंजा।महिलाओं के मंगलगीत ने माहौल को आधात्मिक बना दिया। 28 जुलाई को श्रावण की पहली किरण धरती को स्पर्श करते ही भक्ति की तैयारियां परवान चढ़ने लगीं थीं।जिले के खुटहा बाजार स्थित श्री ओंकारेश्वर महादेव मन्दिर,निचलौल के इटहिया पञ्चमुखी शिवमन्दिर,धानि के कांक्षेश्वरनाथ,कटहरा शिवमंदिर पर शिवभक्तों का अद्भुत सैलाब उमड़ा।नई-नई परिधानों में सजी महिलाएं युवतियां हाथों में पूजा की डलिया और उसमें रखी भांग,धतुर,पान पत्र,विल्वपत्र,गौ दूध,गंगाजल,चन्दन,कनेर पुष्प,अनार आदि नैवैद्य लेकर शिवमंदिरों की ओर बढ़ती गईं।महिलाओं सहित शिवभक्तों का रेला जब शिवमन्दिरों पर पहुंचा तो पूरा माहौल आध्यात्म चुंदरी ओढ़ लिया।मन्दिरों पर शिवभक्त भगवान शिव की एक झलक दर्शन पाने के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा करते रहे।
जब हर शिवभक्त के मुंख से ओंम जय शिव ओंमकारा का स्वर फूटा तो पूरा माहौल ही भक्तिमय हो गया।व्रती महिलाएं एवं कुँवारी कन्याओं ने शिव-पार्वती की पूजन-अर्चन की।तथा शिव पार्वती कथा का भी श्रवण किया।