सीतारमण ने बजट में स्वास्थ्य पर खर्च दोगुना से अधिक किया, संसाधन जुटाने को नया कृषि उपकर लगाया

कोरोना वायरस महामारी के बीच सरकार ने अगले वित्त वर्ष में स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च को दोगुना से अधिक कर दिया है. अगले वित्त वर्ष में सरकार का स्वास्थ्य क्षेत्र पर 2.2 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है. इसके अलावा कुछ आयातित उत्पादों पर एक नया कृषि उपकर भी लगाया गया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश करते हुए संकट से जूझ रही अर्थव्यवस्था को उबारने, देश में विनिर्माण गतिविधियों को प्रोत्साहन देने तथा कृषि उत्पादों के बाजार की मजबूती के उपायों की घोषणा की.

बजट में कपास से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक विभिन्न उत्पादों पर आयात शुल्क भी बढ़ाने की घोषणा की.

अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने सेवानिवृत्ति कोष (भविष्य निधि कोष) पर कर-मुक्त ब्याज की सीमा को वार्षिक 2.5 लाख रुपये तक सीमित कर दिया है. हालांकि, अवकाश यात्रा रियायत (एलटीसी) पर कर छूट देने की घोषणा की है, बशर्ते व्यक्ति ने निर्धारित प्रकार के यात्रा खर्च किए हों.

सर्राफा, शराब, कोयला और सेब से लेकर दाल तक कृषि उत्पादों पर मंगलवार यानी कल से सीमा शुल्क पर एक नया कृषि संरचना एवं विकास उपकर लगाया जाएगा.

हालांकि, उपभोक्ताओं पर बोझ को कम करने के लिए इन उत्पादों पर सीमा शुल्क या आयात शुल्क घटाया गया है.

वित्त मंत्री ने पेट्रोल पर 2.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 4 रुपये प्रति लीटर का उपकर लगाने की भी घोषणा की है. लेकिन उपभोक्ताओं को इस उपकर के बोझ से बचाने के लिए इसी अनुपात में उत्पाद शुल्क में कटौती का भी फैसला किया है.

इसके अलावा एक साल में 50 लाख रुपये से अधिक का सामान खरीदने पर 0.1 प्रतिशत का टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लगाया जाएगा. इस कटौती की जिम्मेदारी उस व्यक्ति पर होगी जिसका कारोबार 10 करोड़ रुपये से अधिक होगा.

सरकार ने 75 साल से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को आयकर रिटर्न दाखिल करने से राहत भी दी है. 75 साल से अधिक उम्र के ऐसे लोग जिनकी आमदनी का स्रोत सिर्फ पेंशन और ब्याज आय है, उन्हें आयकर रिटर्न भरने की जरूरत नहीं होगी.

सस्ते मकानों की खरीद को प्रोत्साहन देने के लिए वित्त मंत्री ने आवास ऋण के भुगतान पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त कटौती का दावा करने की अवधि को एक साल बढ़ाकर 31 मार्च, 2022 कर दिया है.

इसके अलावा प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को विदेशी सेवानिवृत्ति लाभ से होने वाली आय पर कराधान में अंतर के संदर्भ में राहत देते हुए सामंजस्य वाले नए नियमों को अधिसूचित करने की घोषणा की है.

साथ ही बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 49 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है.

सरकार ने करदाताओं को राहत देते हुए कहा है कि लाभांश आय पर अग्रिम कर देनदारी लाभांश की घोषणा/भुगतान के बाद ही बनेगी.

इसके साथ ही स्टार्ट-अप के लिए कर अवकाश या छूट को एक साल बढ़ाकर 31 मार्च, 2022 तक कर दिया गया है.

बजट में आयकर के पुन: आकलन के लिये समयसीमा को घटाकर तीन साल कर दिया गया है. अब तक छह साल पुराने मामलों को दोबारा खोला जा सकता था. पर यदि किसी साल में 50 लाख रुपये या इससे अधिक की अघोषित आय के सबूत मिलते हैं, तो उस मामले में 10 साल तक तक भी पुन: आकलन किया जा सकता है.

वित्त मंत्री ने लोकसभा में बजट संबोधन में कहा कि अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.8 प्रतिशत के बराबर रह सकता है. चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 3.5 प्रतिशत के लक्ष्य की तुलना में 9.5 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है.

बजट में स्वास्थ्य पर जीडीपी के एक प्रतिशत के बराबर खर्च करने का प्रस्ताव किया गया है. उन्होंने कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये टीकाकरण अभियान के वित्तपोषण तथा देश में स्वास्थ्य प्रणाली को बेहतर बनाने पर 2.23 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव किया. सरकार चालू वित्त वर्ष में स्वास्थ्य क्षेत्र पर 94,452 करोड़ रुपये खर्च करने वाली है.

सीतारमण ने कहा, ‘‘इस बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च को काफी बढ़ाया गया है.’’

बजट में सूती, रेशम, मक्का छिलका, चुनिंदा रत्नों व आभूषणों, वाहनों के विशिष्ट कलपुर्जों, स्क्रू व नट आदि पर सीमा शुल्क बढ़ाया गया है. इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में मूल्यवर्धन को बढ़ावा देने के लिये प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली, वायर व केबल, सोलर इन्वर्टर और सोलर लैंप पर भी सीमा शुल्क में बढ़ोतरी की गई है.

नेफ्था, लौह व इस्पात कबाड़, विमानों के कलपुर्जे तथा सोने-चांदी पर सीमा शुल्क कम किया गया है.

वित्त मंत्री ने गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के बोझ से दबे तथा देश की आर्थिक वृद्धि को नीचे खींच रहे सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिये 20 हजार करोड़ रुपये आवंटित किये.

बजट में जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) समेत सार्वजनिक उपक्रमों के शेयरों की बिक्री और निजीकरण के जरिये अगले वित्त वर्ष में 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है.

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