श्रीलंका के राष्ट्रपति देश में दशकों के सबसे बड़े आर्थिक संकट के चलते पैदा हुए राजनीतिक गतिरोध का हल निकालने के लिए प्रस्तावित अंतरिम सरकार में प्रधानमंत्री के तौर पर अपने भाई की जगह किसी अन्य नेता को नियुक्त करने को राजी हो गये हैं.
सांसद मैत्रीपाला सिरीसेना ने राष्ट्रपति के साथ बैठक के बाद कहा कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे इस बात से सहमत हुए हैं कि एक नये प्रधाानमंत्री के नाम से एक राष्ट्रीय परिषद नियुक्त की जाएगी और मंत्रिमंडल में सभी राजनीतिक दलों के सांसद शामिल होंगे.
सिरीसेना, राजपक्षे से पहले राष्ट्रपति थे. वह इस महीने की शुरूआत में करीब 40 अन्य सांसदों के साथ दलबदल करने से पहले सत्तारूढ़ दल के सांसद थे.
श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है और इस द्वीपीय देश ने घोषणा की है कि वह अपने विदेशी रिण की अदायगी स्थगित कर रहा है. उसे इस साल विदेशी रिण के रूप में सात अरब डॉलर, और 2026 तक 25 अरब डॉलर अदा करना है. उसका विदेशी मुद्रा भंडार घट कर एक अरब डॉलर से भी कम रह गया है.
विदेशी मुद्रा की कमी ने आयात को बुरी तरह से प्रभावित किया है, लोगों को खाने-पीने की चीजें, ईंधन, रसोई गैस और दवा के लिए घंटों कतार में इंतजार करना पड़ रहा है.
प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे सहित गोटाबाया और उनके परिवार का पिछले 20 वर्षों से श्रीलंका के लगभग हर क्षेत्र में वर्चस्व रहा है. मार्च से सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने मौजूदा संकट के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया है.