सुप्रीम कोर्ट ने बीमा कंपनियों को लगाई फटकार, कहा – मामूली वजहों से क्लेम से इनकार नहीं कर सकती बीमा कंपनी

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बीमा कंपनियों (Insurance companies) द्वारा मामूली और काल्पनिक आधार पर इंश्योरेंस क्लेम (Insurance Claim) खारिज करने को लेकर फटकार लगाई है. शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा कि बीमा कंपनियां कई मामलों में दावों को मामूली आधार पर मना कर रही हैं. उन्हें दावों का निपटारा करते समय बहुत तकनीकी रवैया नहीं अपनाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बीमा कंपनियों को ऐसे दस्तावेज नहीं मांगने चाहिए, जिन्हें बीमाधारक हालातों के कारण पेश कर पाने की स्थिति में न हों.शीर्ष अदालत ने 2013 में चोरी हुए ट्रक के लिए बीमा पॉलिसी के तहत दावे के संबंध में यह टिप्पणी की. न्यायालय ने इस मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के पिछले साल अगस्त में आए आदेश को खारिज कर दिया.

पीठ ने कहा कि ट्रक के मालिक अपीलकर्ता को गलत तरीके से बीमा दावे से वंचित कर दिया गया और बीमा कंपनी दावे का निपटारा करते समय बहुत तकनीकी हो गई और उसने मनमाने ढंग से काम किया. पीठ ने अपने आदेश में कहा, इसलिए मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देजनर, जब अपीलकर्ता ने पंजीकरण के प्रमाणपत्र की फोटोकॉपी और आरटीओ द्वारा दिए गए पंजीकरण विवरण पेश किए, तो केवल इस आधार पर कि पंजीकरण का मूल प्रमाण पत्र (जो चोरी हो गया है) पेश नहीं किया गया, दावे का निपटारा नहीं करने को सेवा में कमी कहा जा सकता है.

इस बीमा दावे का निपटारा मुख्य रूप से इस आधार पर नकार दिया गया था कि अपीलकर्ता ने पंजीकरण का मूल प्रमाण पत्र या आरटीओ द्वारा जारी पंजीकरण प्रमाण पत्र की प्रमाणित नकल भी प्रस्तुत नहीं की थी. पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता को ऐसे दस्तावेज देने के लिए कहा गया, जिन्हें प्रस्तुत करना उसके नियंत्रण के बाहर था. अदालत ने कहा कि वैध बीमा होने और ट्रक चोरी हो जाने के बाद, बीमा कंपनी को बहुत अधिक तकनीकी नहीं बनना चाहिए. कई मामलों में यह पाया गया है कि बीमा कंपनियां मामूली आधार और तकनीकी आधार पर दावे को खारिज कर रही हैं.

बीमा कंपनी को बहुत अधिक तकनीकी दांवपेंचों के सहारे बीमाधारक को क्लेम से वंचित नहीं करना चाहिए. कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के दुर्ग में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग द्वारा अपीलकर्ता की शिकायत को खारिज के आदेश को रद्द कर दिया.  राज्य आयोग और एनसीडीआरसी द्वारा पारित आदेश को भी खारिज कर दिया. पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता को दावा करने की तारीख से 7 प्रतिशत ब्याज के साथ 12 लाख रुपये की बीमा राशि मिलनी चाहिए.

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