एक अर्थशास्त्री के तौर पर भी विरल आचार्य यूरोपियन बैंकों के कैरी ट्रेड से लेकर सरकारों के सॉवरेन बॉन्ड्स पर रिसर्च पेपर लिख चुके हैं। उनका मानना है कि बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी होनी चाहिए, साथ ही वह सिस्टेमिक फाइनैंशल रिस्क को कंट्रोल में रखने में यकीन रखते हैं। उनके हिसाब से सरकारों को फिजूल खर्च से बचना चाहिए। उम्मीद की जा रही है कि आचार्य आरबीआई में ग्लोबल थिंकिंग लेकर आएंगे। राजन के जाने के बाद इस मामले में सेंट्रल बैंक में एक गैप बना हुआ है।