मुंबई: दुनिया के सबसे मशहूर जहाज टाइटैनिक के डूबने की वजहों को लेकर नया खुलाशा हुआ है। बताया जा रहा है कि टाइटैनिक आइसबर्ग से टकराने के कारण नहीं, बल्कि आग के कारण उत्तरी अटलांटिक सागर में डूब गया था।
1912 में हुए इस हादसे में जहाज पर सवार 1500 से ज्यादा लोग मारे गए थे। बताया जा रहा है कि जहाज के बॉयलर रूम के पीछे बने तीन-मंजिला ईंधन स्टोर में आग के सुलगते रहने के कारण टाइटैनिक जहाज की पेंदी पूरी तरह से कमजोर हो गई थी। टाइटैनिक को लेकर यह खुलाशा एक डॉक्युमेंट्री में हुआ है, इस डॉक्युमेंट्री में आइरिश जर्नलिस्ट और राईटर सेनन मोलॉनी ने टाइटैनिक जहाज के डूबने की वजहों को लेकर नए तथ्य सामने रखें हैं। सेनन मोलॉनी के मुताबिक यह आग तीन हफ्तों तक लगी रही और किसी ने भी इसपर ध्यान नहीं दिया। इसी आग के कारण जहाज क्षतिग्रस्त हो गया था। फिर जब सफर के दौरान आइसबर्ग के साथ इसकी टक्कर हुई, तो कमजोर होने के कारण वह डूब गया।
एक्सपर्ट के मुताबिक आग के कारण जहाज का तापमान 1,000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। इसके बाद जब टाइटैनिक आइसबर्ग से टकराया, तब तक आग के कारण स्टील से बनी इसकी पतवार काफी कमजोर हो गई थी। इसी वजह से आइसबर्ग के साथ टकराने पर जहाज की लाइनिंग टूट गई। जब कि टाइटैनिक बनाने वाली कंपनी ने जहाज पर सवार अधिकारियों को निर्देश दिया था कि इस आग के बारे में यात्रियों को कुछ ना बताएं।
अभी तक यह माना जाता रहा था कि टाइटैनिक समुद्र की सतह के नीचे बने एक आइसबर्ग के साथ टकराकर डूब गया था। सेनन मोलॉनी की रिसर्च में यह बात भी कही जा रही है कि जहाज पर लगी आग से हुए नुकसान को यात्री ना देख सकें, इसलिए जहाज को साउथंपटन बर्थ पर रखा गया था। जब की टाइटैनिक की आधिकारिक जांच में कहा गया था कि जहाज का डूबना प्राकृतिक हादसा था। लेकिन अब जो चीजें सामने आ रही हैं उससे पता चलता है कि आग, बर्फ और आपराधिक लापरवाही के कारण टाइटैनिक के साथ यह हादसा हुआ।