जहाँ एक तरफ आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट कुछ ही दिनों में अपना अंतिम फैसला सुनाने वाला है। वहीँ इससे पहले यूनीक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने आधार नंबर प्रणाली की सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए फेशियल रिक्गनिशन को अनिवार्य करने जैसा बड़ा फैसला लिया है। फेशियल रिकग्नीशन के अनिवार्य हो जाने से अब बैंकिंग, मोबाइल ऑपरेटर और सरकारी योजनाओं का लाभ के लिए आधार ऑथेंटिकेशन के लिए फेशियल रिकग्नीशन अनिवार्य होगा।
यूनीक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अनुसार अब केवाईसी कराते समय फोटो देने के साथ-साथ आधार ऑथेंटिकेशन के लिए आपकी फोटो भी खींची जाएगी। साथ ही यूआईडीएआई ने दावा किया है कि फेशियल रिक्गनिशन से मौजूदा ऑथेंटिकेशन प्रक्रिया को और दुरुस्त किया जा सकेगा। फिलहाल आधार ऑथेंटिकेशन के लिए आइरिस ऑथेंटिकेशन और फिंगरप्रिंट ऑथेंटिकेशन के साथ ही मोबाइल फोन के जरिए ओटीपी ऑथेंटिफिकेशन की प्रक्रिया की जाती है।
सूत्रों के मुताबिक यूनीक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया का मानना है कि इस कदम से आधार कार्यक्रम को अधिक समावेशी बनाया जा सकेगा और इस कदम से उन लोगों का आधार ऑथेंटिफिकेशन आसान हो जाएगा जिन्हें फिंगरप्रिंट के जरिए आधार वेरिफिकेशन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
वहीँ केंद्र सरकार के मुताबिक देश में सभी टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को निर्देश जारी कर दिया गया है कि वह फेशियल रिकग्नीशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल जल्द से जल्द आधार वेरिफिकेशन के लिए शुरू कर दें। इसके लिए टेलिकॉम प्रोवाइडर्स को अल्टिमेटम भी दिया गया है कि 15 सितंबर, 2018 तक वह कम से कम अपने कुल मासिक ट्रांजैक्शन का 10 फीसदी ऑथेंटिफिकेशन फेशियल रिकग्नीशन के जरिए कराएं नहीं तो प्रति ट्रांजैक्शन उनसे एक न्यूनतम चार्ज वसूला जाएगा।
यूआईडीएआई ने सर्कुलर के जरिए यह भी चेतावनी जारी की है कि इस नियम का पालन न करना आधार एक्ट 2016 के तहत अपराध माना जायेगा है। वहीँ दोषी पाए जाने पर जेल अथवा जुर्माने या फिर दोनों की सजा हो सकती है ।