अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सेवा के प्रमुख ने तालिबान के हमले के प्रभाव से निपटने, देश की एक तिहाई आबादी को कुपोषण से बचाने, सूखे की गंभीर स्थिति के लिहाज से और इस साल स्वदेश आए 6,27,000 अफगानों, जिनमें से अधिकतर पड़ोसी ईरान से लौटे हैं, ऐसे लोगों की मदद के लिए बृहस्पतिवार को 85 करोड़ डॉलर की मदद की अपील की.
रमीज अलकबरोव ने राजधानी काबुल से डिजिटल तरीके से बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पत्रकारों को बताया कि कम से कम आठ करोड़ अफगानों को सहायता की आवश्यकता है और संयुक्त राष्ट्र की इनमें से कम से कम 1.57 करोड़ लोगों को मदद देने की योजना है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने 1.3 अरब डॉलर की अपील की थी लेकिन सिर्फ 37 प्रतिशत रकम यानी 45 करोड़ डॉलर ही जुटाए जा सके हैं. अमेरिका ने सबसे अधिक दान दिया है. उन्होंने कहा कि शेष 85 करोड़ डॉलर की अत्यंत आवश्कता है.
अमेरिका और नाटो देशों के सैनिकों ने लगभग 20 वर्षों के बाद अफगानिस्तान से अपनी वापसी लगभग पूरी कर ली है. वहीं, तालिबान ने हाल के हफ्तों में पड़ोसी देशों ईरान, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजीकिस्तान के साथ लगते कई जिलों और प्रमुख सीमा चौकियों पर कब्जा कर लिया है. कई मामलों में अफगान सुरक्षा बलों और सेना ने हथियार सामग्री की कमी के कारण या तो बहुत कम प्रतिरोध किया या कोई जवाब नहीं दिया.
अलकबरोव ने कहा कि तीन साल में दूसरा सूखा पड़ने के कारण और तालिबान के हमले के कारण 2,70,000 लोग ग्रामीण क्षेत्रों में अपने घरों से शहरी क्षेत्रों और क्षेत्रीय केंद्रों की ओर पलायन कर गए हैं, जहां उन्हें भोजन, पानी, आश्रय और साफ-सफाई की आवश्यकता है.