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यूपी एसटीएफ ने “खून चुसवा गिरोह” का किया पर्दाफास, 5 लोग हुए गिरफ्तार

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जल्द धनवान बनने और हाई प्रोफाईल स्टेट्स की जिंदगी जीने के चक्कर में पैसे कमाने के लिए कई तरह के हथकण्डे जहां अपनाए जाते रहे हैं वहीं तमाम लोग इसके लिए कई अपराध भी करते रहते हैं। लेकिन इसके लिये किसी के मासूम जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर खून का कारोबार करना कितना सही है,जरा आप खुद सोंचें। लेकिन ऐसे काले व्यवसाय करना वास्तव में काफी चौकाने वाला है। यूपी एसटीएफ ने एक ऐसे ही मामले का पर्दाफाश करते हुए काले व्यवसाय से जुड़े मौत के पांच सौदागरों को गिरफ्तार किया है। आइए जानते हैं कि आखिर कैसे चलता है यह काला धंधा…

यूपी एसटीएफ ने खून का काला कारोबार करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए मौत के पांच सौदागरों  को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार किये गये आरोपियों के कब्जे से यूपी एसटीएफ ने अवैध ब्लड व कूट रचित दस्तावेज भी बरामद किये हैं। गिरफ्तार किये गये पांचों आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस मामले में कुछ सफेदपोशों के साथ अन्य आरोपियों के भी शामिल होने की आशंका है।

खून का अवैध कारोबार करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए नसीम ने यूपी एसटीएफ को पूछताछ में बताया है कि वह अपने घर पर ही प्रोफेशनल ब्लड डोनर, जिनमें नशा करने वाले लोग शामिल हैं, उन्हें कुछ पैसों का लालच देकर ब्लड खुद ही निकाल लेता है। जिसके बाद वह एक यूनिट ब्लड से दो यूनिट ब्लड बनाता है। जिसमें ब्लड पूरा करने के लिए सलाइन वॉटर मिलाता था। आरोपी इसे होल ह्यूमन ब्लड (Whole human blood) कहकर  PRBC (Packed Red Blood Cell) के नाम से बेचता था, क्योंकि PRBC यूनिट में ब्लड की मात्रा कम होती है, जिससे आसानी से दो यूनिट तैयार हो जाती है।

आरोपी नसीम ने यूपी एसटीएफ को पूछताछ में यह भी बताया है कि वह उससे जुड़े कुछ सफेदपोशों के साथ अन्य लोगों के जरिये शहर के प्रमुख हॉस्पिटलों में मरीजों के परिजनों को झांसे में लेकर उनको यह ब्लड बैचता था। इसके अलावा जरूरतमंदों को उचित दाम में खून दिलाने का पूरा भरोसा देकर उनको बिश्वास में लेकर यह अवैध रक्त रु 2000 से रु 3000 प्रति यूनिट बेचता था।

आरोपी नसीम ने एक और  सनसनीखेज खुलासा करते हुए बताया है कि वह पैसा बचाने के लिए इस ब्लड का किसी भी तरह का कोई टेस्ट जैसे एचआईवी, हेपिटाइटिस बी, हेपिटाइटिस सी,वायरस वीडीआरएल, मलेरियल, पैरासाइट आदि की कोई टेस्ट न तो करता था और न ही कराता था।

गिरफ्तार किये गये आरोपी और उनके कारनामे…

1:- इस मामले में गिरफ्तार किये गये अन्य आरोपियों में राशिद अली उर्फ आतिफ पुत्र स्वर्गीय शौकत अली (लखनऊ सहादतगंज)  शामिल है। राशिद का काम मुख्य रूप से अवैध ब्लड डोनर को सेंटर तक लाना तथा मिलावटी खून बेचने का काम करता था।

2:- राघवेंद्र प्रताप सिंह पुत्र राम देव वर्मा  (नवाबगंज बाराबंकी) है। राघवेंद्र अपने आपको ब्लड बैंक का लैब टेकनीशियन बताता है,यह ब्लड बैग की अवैध सप्लाई मुख्य रूप से करता है।

3:- मोहम्मद नसीम पुत्र स्वर्गीय जाकिर अली (हसनगंज लखनऊ) को भी यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है।  मोहम्मद ही इस पूरे मामले का मुख्य आरोपी है, जो अवैध ब्लड बैंक को अपने घर से संचालित करता था।जो अपनी घर को पूरी तरह से वीवीआईपी बना रखा है।

4:- पंकज कुमार त्रिपाठी पुत्र पारस नाथ त्रिपाठी (त्रिवेणी नगर लखनऊ) इस गैंग का मुख्य आरोपी है।पंकज ब्लड बैंक में लैब अटेंडेंट है, जो ब्लड बैंक से प्रोफेशनल डोनर से ब्लड निकाल कर नसीम को फौरन सप्लाई करता था।

5:- गिरफ्तार किए गए अंतिम आरोपियों में हनी निगम उर्फ रजनीश निगम पुत्र स्वर्गीय अमरेश कुमार  (निशातगंज लखनऊ) शामिल है। हनी निगम ब्लड बैंक के फर्जी स्टीकर एवं अन्य पेपर प्रिंट कराता था, साथ ही ब्लड निकालना एवं ब्लड डोनर का इंतजाम भी करता था।

( शिवरतन कुमार गुप्ता की रिपोर्ट )

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