नईदिल्ली। भारतीय वायुसेना के जगुआर लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने की दिशा में बड़ी सफलता मिली है। दो सीटों वाले डारिन-3 विमान को प्रारंभिक संचालन मंजूरी (इनिशल ऑपरेशनल क्लियरेंस) मिल गई है। नए लड़ाकू विमानों की खरीदारी में वक्त लगने के चलते इस उपलब्धि को अहम माना जा रहा है। वायुसेना के डेप्युटी चीफ एयर मार्शल आर. के. एस. भदौरिया ने अपग्रेड विमान को उड़ाने के बाद आईआईसी प्रक्रिया के संतोषजनक ढंग से पूरा होने का ऐलान किया। यह विमान अब विशेष एवियोनिक्स सिस्टम से लैस है इसे डेटा हैंडलिंग में सबसे अच्छे तरीके से अपग्रेड करने का दावा किया गया है। सूत्रों का कहना है कि अपग्रेड के कुछ और फीचर जोड़ने के बाद इसे फाइनल ऑपरेशनल क्लियरेंस मिल जाएगी।
भारतीय वायुसेना ने लड़ाकू विमानों को नए इंजन और हथियारों से अपग्रेड कर इन्हें और 15-20 साल की जिंदगी देने का फैसला किया है। दुनिया में सिर्फ भारत ही जगुआर विमान ऑपरेट कर रहा है। 120 विमानों की फ्लीट में करीब 100 को नए इंजन, रेडार और एवियोनिक्स से लैस करने का प्लान है। फिलहाल तीन डारिन-1 विमानों को डारिन-3 में अपग्रेड किया गया है।
साठ के दशक में सुपरसोनिक ट्रेनर जगुआर में नेविगेशन सिस्टम पुराना पड़ रहा था। लेकिन इसे दुश्मन देश के काफी अंदर तक जाकर हमला करने में बेहद सक्षम विमान माना जाता है। यह दुश्मन के ठिकानों पर कम ऊंचाई से हमले कर सकता है। इस क्षमता के लिए पावरफुल इंजन की जरूरत होती है, क्योंकि दुश्मन का रेडार इस विमान के इलाके में होने की जानकारी दे सकता है और जवाबी कार्रवाई कर सकता है।