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जानिए क्या है एसेंशियल कमोडिटी एक्ट, जिसे किसानों के लिए बदल रही है सरकार

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बीते बुधवार से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज के बारे में जानकारी दे रही हैं. इस दौरान वित्त मंत्री ने बताया कि किसानों को बेहतर मूल्य मिल सके, इसके लिए सरकार एसेंशियल कमोडिटी एक्ट, 1955 (आवश्यक वस्तु अधिनियम) में संशोधन करेगी. इस एक्‍ट से अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दालें, प्याज और आलू सहित कृषि खाद्य सामग्री को बाहर किया जाएगा. ऐसे में सवाल है कि एसेंशियल कमोडिटी एक्ट क्‍या है और इसका किसानों को कैसे फायदा मिलेगा.




दरअसल, इस एक्‍ट के तहत जो भी वस्‍तुएं आती हैं, सरकार इनके उत्पादन, बिक्री, दाम, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रित करती है. इसके बाद सरकार के पास अधिकार आ जाता है कि वह उस पैकेज्ड वस्‍तुओं का अधिकतम खुदरा मूल्य तय कर दे. उस मूल्य से अधिक दाम पर चीजों को बेचने पर सजा का प्रावधान है.

किसी उल्लंघनकर्ता को 7 साल के कारावास या जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है. इसके अलावा अधिकतम 6 माह के लिए नजरबंद किया जा सकता है. यहां आपको बता दें कि इस एक्‍ट को साल 1955 में संसद से पास किया गया था. इस एक्‍ट को लाने का मकसद लोगों को जरूरी चीजें उचित दाम पर और आसानी से उपलब्ध कराना था.


इसमें बदलाव करते हुए अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दालें, प्याज और आलू सहित कृषि खाद्य सामग्री को एक्‍ट से बाहर किया जाएगा. इसका मतलब साफ है कि इन सभी कृषि खाद्य सामग्री पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहेगा और किसान अपने हिसाब से मूल्‍य तय कर आपूर्ति और बिक्री कर सकेंगे. हालांकि, सरकार समय-समय पर इसकी समीक्षा करती रहेगी. जरूरत पड़ने पर नियमों को सख्‍त किया जा सकता है.

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