व्हॉट्सएप ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में इन आरोपों को खारिज किया कि इस्राइल के स्पाईवेयर पेगासस के जरिये उसके डेटा की ‘सेंधमारी’ की जा सकती है.
पेगासस द्वारा पिछले साल कुछ भारतीय पत्रकारों तथा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की निजता के उल्लंघन के दावों से विवाद खड़ा हो गया था. उस समय दावा किया गया था कि वैश्विक स्तर पर लोगों की कुछ अज्ञात इकाइयों द्वारा जासूसी की जा रही है.
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष यह मुद्दा उठा. पीठ राज्यसभा सदस्य विनय विश्वम की उस याचिका का सुनवाई कर रही है जिसमें रिजर्व बैंक को यह निर्देश देने का आग्रह किया गया है कि वह नियमन बनाकर सुनिश्चित करे कि यूपीआई मंच पर एकत्रित डेटा का ‘दुरुपयोग’ नहीं किया जा सके.
पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन भी शामिल हैं. पीठ ने व्हॉट्सएप की ओर पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि आरोप है कि व्हॉट्सएप के डेटा में सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिये ‘सेंध’ लगाई जा सकती है.
इस पर सिब्बल ने कहा, ‘‘ये सिर्फ आरोप हैं. इनमें से कोई भी सही नहीं है.’’ व्हॉट्सएप ने पिछले साल कहा था कि वह इस्राइल की उस ‘निगरानी’ करने वाली कंपनी के खिलाफ मुकदमा करने जा रही है जो इस प्रौद्योगिकी के पीछे है. इसके जरिये कुछ अज्ञात इकाइयों ने करीब 1,400 प्रयोगकर्ताओं के फोन को ‘हैक’ कर जासूसी की है.
सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई सुनवाई के दौरान विश्वम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्णन वेणुगोपाल ने कहा कि रिजर्व बैंक ने इस मामले में हलफनामा दायर किया है और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) भी इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करेगा.
वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘कुछ अतिरिक्त रक्षोपाय होने चाहिए. व्हॉट्सएप की सुरक्षा पुख्ता नहीं है. फेसबुक, व्हॉट्सएप और अमेजन जैसी कंपनियां डेटा साझा करती हैं. यह निजता का उल्लंघन है. सभी डेटा को एनपीसीआई नियमों का उल्लंघन कर साझा किया जाता है.’’
उन्होंने पेगासस का भी उल्लेख किया और कहा कि व्हॉट्सएप के डेटा को स्पाईवेयर के जरिये ‘हैक’ किया जा सकता है. पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी के चौथे सप्ताह में रखी है.