HomeNationalदेशभर में छाया रहा "होली" का ख़ुमार

देशभर में छाया रहा “होली” का ख़ुमार

- Advertisement -

देश भर में ‘रंगों के त्योहार’ होली बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाने वाले इस त्योहार पर अधिकतर राज्यों में हर शहर, नुक्कड़ और हर गली में ‘बुरा न मानो होली है’ की गूंज सुनाई दी। लोग टोलियां बनाकर सड़कों पर रंग लेकर एक दूसरे को रंगते नजर आए। साथ ही ढ़ोल की धुनों और तेज संगीत पर नाचते लोग अपने तरीके से ही होली का जश्न मनाते नजर आए। होली के इस त्योहार पर क्या बच्चे, क्या युवा सभी रंगों में रंगे नजर आ रहे थे। भाई चारे के प्रतीक होली पर गिले-शिकवे भूलाकर लोग एक-दूसरे से गले मिले और एक दूसरे के गालों पर गुलाल और अन्य रंग लगाकर अपनी खुशी का इजहार किया। भारतीय संस्कृति की विरासत में त्योहारों और उत्सवों का हमेशा से ही काफी महत्व रहा है। भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत है कि देश में मनाया जाना हर त्योहार समाज में मानवीय और सद्गुणों को स्थापित कर लोगों में प्रेम, एकता और सद्भावना को बढ़ाता है। 

देश के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग तरह से होली मनाई गई। बात करें उत्तर प्रदेश की तो यहां ब्रज की बरसाने की ‘लट्ठमार होली’ विश्व प्रसिद्ध है। होली खेलने के लिए यहां लोग रंगों के बजाए लाठियों का प्रयोग करते हैं महिलाएं पुरुषों को लठ्ठ मारती है और पुरुष खुद को बचाने के लिए ढालों की आड़ लेते हैं। ब्रज मंडल में करीब डेढ़ महीने तक लट्ठमार होली का कार्यक्रम चलता है। ब्रज मंडल में नंदगांव, बरसाना, मथुरा, गोकुल, लोहबन तथा बलदेव की होली विशेष रूप से देश विदेश में प्रसिद्ध है।

वहीं बिहार के कुछ स्थानों पर होली को रात में जलाने की परंपरा है। लोग होलिका दहन के समय लकड़ियों से बनाई गई होली के आस पास इकठ्ठा होते हैं और उसमें आग लगाकर गेहूं व चने की बालें भूनकर खाते हैं। कुछ जगहों पर युवक अपने-अपने गांव की सीमा के बाहर मशाल जलाकर रास्ता रोशन करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से वे अपने गांव से दुर्भाग्य और संकटों को दूर भगाते हैं। 

इसके अलावा पश्चिम बंगाल में होली को ‘डोलीजागा’ नाम से मनाया जाता है और यह कार्यक्रम तीन दिन तक चलता है। प्रदेश में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों के समीप कागज, कपड़े और बांस से मनुष्य की प्रतिमाएं बनाई जाती हैं और शाम के वक्त प्रतिमाओं के समक्ष वैदिक रीति से यज्ञ किए जाते हैं और बाद में प्रतिमाएं जला दी जाती हैं। उसके बाद लोग यज्ञ कुंड की सात बार परिक्रमा करते हैं। ठीक इसके अगले दिन सुबह भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को एक झूले पर सजाया जाता है। इस दौरान वहां मौजूद लोग भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा पर रंग उड़ाते हैं। इसके बाद दिनभर लोग रंगों से आपस में होली खेलते हैं।

साथ ही उत्तर भारत के पंजाब और हरियाणा में भी होली को खूब धूमधाम से मनाया गया। लोग रंग और गुलाल से होली खेलकर एक-दूसरे से गले मिले।

Source: khabarindiatv

- Advertisement -
- Advertisement -
Stay Connected
16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe
Must Read
- Advertisement -
Related News
- Advertisement -