नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के खत्म होने से ठीक एक दिन पहले एलके आडवाणी ने जिस बात की आशंका जताई थी, आखिर में वह सच निकली। पूरा सत्र नोटबंदी पर शोरशराबे और खींचतान के चलते हंगामे की भेंट चढ़ गया। इसी के साथ यह सेशन 15 सालों में कामकाज के लिहाज से सबसे खराब प्रदर्शन वाला सत्र बन गया है। लोकसभा में लगभग 85 फीसदी समय बर्बाद हुआ, वहीं राज्यसभा में 80 फीसदी वक्त जाया हुआ। इससे पहले 2G स्पेक्ट्रम को लेकर 2010 में भी शीतकालीन सत्र पूरी तरह धुल गया था, लेकिन उसका प्रदर्शन हालिया सत्र से कुछ बेहतर था।
हंगामे के चलते सरकार का अहम बिल जीएसटी सदन में नहीं आ पाया। चर्चा है कि सरकार जनवरी में विशेष सत्र बुलाकर इसे पास करा सकती है। मौजूदा सत्र में सदन की 21 बैठकों में जहां लोकसभा में 19 घंटे काम हुआ, वहीं राज्य सभा में 22 घंटे काम हुआ। लोकसभा में व्यवधान के चलते 91 घंटे 59 मिनट का समय बर्बाद हुआ, तो वहीं राज्यसभा में 86 घंटों का वक्त खराब हुआ।
वक्त की बर्बादी को लेकर लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन और राज्यसभा में सभापति हामिद अंसारी दोनों ने अफसोस जाहिर किया है । सुमित्रा महाजन ने सदन के कामकाज पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा, ‘सेशन में व्यवधान के चलते जो समय नष्ट हुआ, वह हम सभी के लिए खास तौर पर मेरे लिए अच्छी बात नहीं है। इससे जनता में छवि धूमिल होती है।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि नए साल में सभी दल और सदस्य मतभेद को भुलाकर सदन की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने में योगदान देंगे।