प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने रविवार को कहा कि योग एकता की एक शक्ति के रूप में उभरा है और यह नस्ल, रंग, लिंग, धर्म और राष्ट्रों के आधार पर भेदभाव नहीं करता है. छठे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर अपने संदेश में उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के कारण दुनिया को योग की आवश्यकता पहले के मुकाबले कहीं अधिक महसूस हो रही है.
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है तो इससे इस बीमारी को हराने में काफी मदद मिलेगी. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए योग में कई तकनीक, विभिन्न ‘आसन’ हैं.’’
मोदी ने कहा कि कोविड-19 (COVID-19) हमारे श्वसन तंत्र पर हमला करता है जो ‘प्राणायाम’ या सांस लेने संबंधी अभ्यास से मजबूत होता है. उन्होंने कहा, ‘‘योग एक स्वस्थ ग्रह पाने की हमारी चाह बढ़ाता है. यह एकता के लिए एक ताकत के रूप में उभरा है और मानवता के बंधन को और गहरा करता है. यह भेदभाव नहीं करता। यह नस्ल, रंग, लिंग, धर्म और राष्ट्रों के परे है. योग को कोई भी अपना सकता है.’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अगर हम सेहत और उम्मीद के बीच तालमेल बैठा लें तो वह दिन दूर नहीं जब विश्व स्वस्थ और खुशहाल मानवता की सफलता का गवाह बनेगा. योग निश्चित तौर पर इसे साकार करने में हमारी मदद कर सकता है.’’
उन्होंने कहा कि काम करना और अपने कर्तव्यों का उचित तरीके से निर्वहन करना भी योग है. कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस बिना जन समूहों के डिजिटल मीडिया माध्यमों के जरिए ही मनाया जा रहा है.
इस बार की थीम ‘घर पर योग और परिवार के साथ योग’ है. संयुक्त राष्ट्र ने 11 दिसंबर 2014 को घोषणा की थी कि हर साल 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ मनाया जाएगा.