Gujarat : 10 हजार डाक्टर्स की अनिश्चितकालीन हड़ताल, स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित

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गुजरात में कम से कम 10,000 सरकारी डॉक्टरों ने तदर्थ सेवाओं को नियमित करने सहित अपनी लंबित मांगों को लेकर सोमवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी जिससे सरकारी अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में सेवाएं प्रभावित हुई हैं.

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के जीएमईआरएस (गुजरात मेडिकल शिक्षा एवं अनुसंधान सोसाइटी) द्वारा संचालित सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में हड़ताल के पहले दिन सेवाएं प्रभावित हुयीं, क्योंकि डॉक्टरों ने मरीज़ों का इलाज करने से मना कर दिया.

गुजरात मेडिकल शिक्षक संघ (जीएमटीए) के प्रमुख डॉ रजनीश पटेल ने कहा, “ समूचे राज्य में करीब 10,000 सरकारी डॉक्टर सोमवार से हड़ताल पर चले गए हैं, क्योंकि हम अपनी मांगों के समाधान का इंतजार कर रहे थे जो कभी नहीं हुआ। सीएचसी, पीएचसी, जिला अस्पताल, छह मेडिकल कॉलेज और जीएमईआरएस के नौ कॉलेज आदि के सरकारी कर्मचारी आज से हड़ताल पर हैं.”

जीएमटीए ‘गुजरात गवर्मेंट्स डॉक्टर्स फोरम’ का हिस्सा है. ‘गुजरात गवर्मेंट्स डॉक्टर्स फोरम’ में जीएमईआरएस के संकाय सदस्य, सेवारत डॉक्टर, ईएसआईसी, द्वितीय श्रेणी के चिकित्सा अधिकारियों समेत अन्य शामिल हैं.

पटेल ने बताया कि हड़ताली डॉक्टर तदर्थ सेवाओं को जारी रखने, नियमित करने, विभागीय पदोन्नति और सातवें वेतन आयोग के अनुसार गैर-प्रैक्टिसिंग भत्ते (एनपीए) की मांग कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि अन्य अहम मांग अनुबंध के आधार पर नियुक्तियां बंद करना है. जीएमटीए के एक अन्य सदस्य ने कहा कि डॉक्टर पिछले साल नवंबर से यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें हड़ताल पर न जाना पड़े और सरकार के साथ बातचीत के जरिए उनके मुद्दों का समाधान हो जाए.

जीएमटीए के महासचिव डॉ जयेंद्र मकवाना ने कहा, “सरकार ने वादा किया था कि हमारी सभी मांगें 31 मार्च 2022 तक पूरी कर दी जाएंगी. आश्वासन के बाद हमने अपनी हड़ताल रद्द कर दी थी. लेकिन ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया गया है. हमें हाल फिलहाल कोई आदेश आने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है. हमारे पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.”

सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के चलते मरीजों की लंबी-लंबी कतारें लग रही थीं. सिविल अस्पतालों में कुछ रेजिडेंट डॉक्टरों को तैनात किया गया था लेकिन मरीजों और उनके रिश्तेदारों को इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा.

इस बीच, ग्रेड वेतन के मुद्दे को लेकर पंचायत स्तर के स्वास्थ्यकर्मी भी राज्य की राजधानी गांधीनगर में जमा हो गए, जिसके बाद उनमें से कई को पुलिस ने हिरासत में ले लिया.

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “ हमने कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों की जान बचाई लेकिन राज्य सरकार हमारी मांगों के प्रति उदासीन है.”

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