रानी रूपमती के प्रेम का गवाह है मध्य प्रदेश का “मांडू” शहर

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मांडू में हर कदम दर कदम पर इतिहास से आमना-सामना होता है। इस राजसी किले में मौजूद सदियों पुरानी विशाल मेहराबें, शानदार महल, सुंदर झीलें और रहस्यमयी मस्जिदें एक अद्भुत संसार की रचना करती हैं। मांडू ने बीती सदियों के दौरान यह सब कुछ देखा है। मध्य प्रदेश के दिल में बसे इस खूबसूरत शहर की यात्रा करने का अनुभव ऐसा है, मानो इतिहास के पन्ने आपके सामने जीवंत हो उठे हों।

जहाज़ महल:-

माडूं का राजसी सफर शुरू होता है जहाज़ महल से, जिसे 15 वीं शताब्दी में सुल्तान ग्यासुद्दीन खिलजी ने बनवाया था। दिन के समय इस शानदार इमारत की परछाई किसी विशाल जहाज़ जैसी नजर आती है। कहा जाता है कि इसी महल में सुल्तान का हरम हुआ करता था, जिसमें 15000 महिलाएं थीं। इसमें तुर्की जैसे दूर-दराज़ के देशों की महिलाएं भी शामिल थीं। इस इमारत में बने थे कछुए के आकार के तालाब और पत्तियों के आकार वाले पानी साफ करने के यंत्र। सुल्तान ने यहां 31 वर्ष तक राज किया और अपना समय खूबसूरत महिलाओं एवं संगीत के बीच बिताया। उसने यह महल दो झीलों के बीच की पतली पट्टी पर बनवाया, जिससे यह महल पानी पर तैरता हुआ महसूस होता है।

इसी इमारत के पास बना है हिंडोला महल। जैसा कि नाम से ही जाहिर है – चूना पत्थर की ढ़लानदार दीवारों से बना यह महल झूलता सा नजर आता है। इसके संकरे गलियारों और विशाल मेहराबों के बीच से यहां के शासक अपने हाथियों पर बैठ कर गुजरते थे। कहा जाता है कि शायद इन गलियारों का इस्तेमाल लोगों को संबोधित करने के लिए किया जाता होगा।

होशंगशाह का मक़बरा:-

इस जगह का इतिहास बहुत पुराना है। 12वीं सदी में यहां परमार राजाओं ने शासन किया। वे पास के शहर धार से अपनी राजधानी को यहां लेकर आए। धार की तुलना में पठार की चोटी पर बसा मांडू रणनीतिक रूप से ज्यादा बेहतर था। 14वीं सदी में यहां दिलावर खान गोरी और उसके बेटे होशंगशाह ने शासन किया। यहां बनी खूबसूरत जामी मस्जिद उनके शासन की याद दिलाती है। इस मस्जिद को दमिश्क की उमय्यद मस्जिद से प्रेरित होकर बनाया गया था। इस मस्जिद में हिंदू और इस्लामिक वास्तुकला का अनोखा मेल नज़र आता है। इसी के पास बना है होशंगशाह का मक़बरा। यह उस दौर का संगमरमर से बना पहला मक़बरा है। कहा जाता है कि शाहजहां को ताजमहल बनाने की प्रेरणा इसी इमारत से मिली थी।

रूपमती महल:-

सिर्फ मांडू की बेजोड़ वास्तुकला से इसकी कहानी पूरी नहीं होती। बल्कि इसमें यहां के राजा बाज़ बहादुर और उनकी प्रेमिका रानी रूपमती से जुड़ी किवदंतियां भी शामिल हैं। यहां का रूपमती महल इस कहानी का गवाह है। यह शानदार इमारत एक पहाड़ की चोटी पर बनी है। रानी रूपमती इस ऊंचाई से बाज़ बहादुर के महल और दूर निमाड़ के मैदानों में बहती नर्मदा नदी को निहारती थी। अगर आपको पुरातन किस्से कहानियों पर यकीन है, तो इस महल के परकोटों में आज भी बाज़ बहादुर के दिल टूटने की आवाज़ गूंजा करती है। इसलिए क्योंकि रूपमती ने अपने कारण हुई एक लड़ाई में बाज़ बहादुर के हारने की खबर सुनकर ज़हर खा लिया था।

हिंडोला महल यानी स्वर्ग द्वार:-

भारतीय-इस्लामी वास्तुकला की बेहतरीन मिसाल और अतीत की अनोखी झलका दिखाने वाले मांडू को इसके 12 प्रमुख दरवाज़ों के लिए भी जाना जाता है। इन खूबसरत नक्काशीदार दरवाज़ों और रास्तों को कई शताब्दियों के दौरान बनाया गया। शहर में घुसते समय इन दरवाज़ों से होकर गुजरना पड़ता है। ये दरवाज़े इस बात की गवाही देते हैं कि मध्यकालीन भारत में मांडू सबसे बेहतरीन किलेबंदी वाले शहरों में से एक था। मांडू पर अफगानों और मुगलों से लेकर मराठाओं तक ने अलग-अलग समय में राज किया। मांडू अपने भीतर इतने प्राचीन रहस्यों को समेटे है कि यह पुराना शहर आज भी पर्यटकों, इतिहास प्रेमियों और रोमांच की चाह रखने वालों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है।

(शिवरतन कुमार गुप्ता) 

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