सत्य वचन सीधी बात

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मेरा मकसद आपके विचारों को बदलना नहीं बल्कि उन्हें आपके अन्दर की शक्तियों तक पहुंचाना है। जिस शक्ति की मैं बात कर रहा हूँ वो या तो संतो और फकीरों के पास मिलेगी या फिर विज्ञान के पास। जैसे जैसे आप पढ़ते जाएंगे आप समझ जाएँगे कि मैं किन शक्तियों की बात कर रहा हूं? हर पंक्ति को दोबारा पढ़े ताकि आप इन्हें अच्छी तरह समझ सकें। मानवजाति को कामयाबी उसके अच्छे विचारों से ही मिलती रही है।

मानवजाति की कामयाबी के पीछे कोई आसमानी शक्ति या सुपर पावर जैसी चीज नहीं होती है, हम जो कुछ भी सोचते हैं वही बनते हैं। मानवजाति जिन आसमानी शक्तियों की बात करती है दरअसल वह आसमान में नहीं हमारे अन्दर ही मौजूद है। मानवजाति उन शक्तियों को कभी समझने या पहचानने की कोशिश करती ही नहीं है। जिन शक्तियों से हमें कामयाबी मिलती रही है वो शक्ति आसमान में नहीं बल्कि हमारे अन्दर ही मौजूद होती है, हमें जो दिखाया या बताया जाता है हम उसी पर ही विश्वास कर लेते हैं। हम समझने की कोशिश ही नहीं करते कि सच क्या है और झूठ क्या है? जैसे कि जब बचपन में हम रात को माता पिता से बाहर जाने की ज़िद करते थे तो हमें माता पिता या दादा दादी, डराया करते थे कि बेटा बाहर मत जाना। रात हो गई है नहीं तो सियार आएगा और तुम्हें उठा ले जाएगा। फिर हम डर और सिमट कर मां या दादी के गोद में ही सो जाया करते थे, खैर वो बचपना था, लेकिन मानवजाति को अंधेरे से आज भी डर लगता है, क्योंकि यह हमारा विचार ही तो है जो हमें अंधेरे से डराता है, हम अपने अन्दर की शक्तियों को अब तक समझ ही नहीं पाए हैं। यही वजह है कि हमें अंधेरे से डर लगता है और इस सच्चाई से भी कोई इन्कार नहीं कर सकता है कि मानवजाति की सोच विकास करती रही है, क्योंकि वो हम लोग ही हैं जो सदियों से ब्रम्हांड में विकास करते रहे हैं और हम लोग ही हैं जो कुदरत की शक्तियों से भरे हुए हैं, बस हमें मालुम नहीं है की वो शक्ति हमारे अन्दर कहां छुपी हुई है।

आप जानते ही हैं की हमारे भारत देश को अंग्रेजों से जिन महान शक्तियों ने आज़ादी दिलाई थी वो शक्ति आसमानी नहीं थी बल्कि दुनिया के महान इंसानों में से एक महात्मा गांधी के विचारों की शक्ति थी। जिन्होंने अहिंसा का रास्ता चुना और आगे बढ़ते रहें। जिसका परिणाम आज हम हिन्दुस्तानी भाई बहनों के सामने है। ऐसी शक्ति हर इंसान के पास होती है जो पूरी दुनिया को बदल सकती है। जिस शक्ति ने भारत को आजादी दिलाई है, जिसके कारण आज हम हिन्दुस्तानी भाई और बहन आजादी का जीवन गुजार रहे हैं, ऐसी महान शक्तियाँ ही दुनिया और मानवजाति को विकास की राह दिखाती है। इन्हीं शक्तियों से ही तो हम दुनिया में कामयाब होते हैं। यही तो इंसान के अन्दर की शक्ति है। बस हमें अपने अन्दर की उस शक्ति तक पहुंचने की जरूरत है, जिस दिन आप अपनी शक्तियों तक पहुंच गए। यकीन मानिए इतिहास में आपका भी नाम दर्ज हो सकता है, आप इससे भी अच्छी जिंदगी हम गुजार सकते हैं। हम इस दुनिया में एक अच्छे जीवन के साथ एक अच्छे विचार भी लेकर आए हैं। हमारा अच्छा विचार ही है जो पूरी दुनिया के विचारों को बदल सकता है। ताकि हमारा आने वाला कल भी अच्छा हो सके। मानवजाती के विचारो को प्यार मोहबत से बदलने की ज़रुरत है ना कि उनके मजहब या नाम से।

जो लोग कामयाबी की बुलंदियों को छूते आए हैं अगर वे दूसरे के कहने या सुनने से अपने जीवन का फैसला करते तो क्या आज वो कामयाबी की बुलंदियों को छू सकते थे ? नहीं न, इसलिए उन्होंने अपने विचारो के साथ चलते रहने का फैसला किया और कामयाब होते रहे। मैं भगवान या खुदा की शक्तियों की बात नहीं कर रहा हूं। वो अलग शक्ति है जो पूरी दुनिया को चलाती है, मैं उन शक्तियों की बात कर रहा हूं जो हमें कुदरत से मिली है और जिन शक्तियों की मैं बात कर रहा हूं उन शक्तियों तक पहुंचने के लिए आप को आसमान में देखने या ढूंढने की जरुरत नहीं है क्योंकि वो शक्ति आप के अन्दर ही मौजूद है। आप अगर विज्ञान की दुनिया में विश्वास करते हैं तो एक नाम सबसे ऊपर दिखाई देता है अल्बर्ट आइंस्टीन का। जिन्होंने अपनी अन्दर की शक्तियों को समझा और उन्हीं शक्तियों के जरिए दुनिया को और मानवजाति को आगे बढ़ने का एक रास्ता दिखाया। जिन रास्तों पर आज हम भी अपनें बच्चों को कामयाब होते देखना चाहते है।

अल्बर्ट आइंस्टीन के जीवन की कुछ बीती घटनाएं लिख रहा हूं ताकि आप के विचारों को मजबूती मिल सके और आप अपने अन्दर के विचारों की शक्तियों को समझे। आप के विचारों की शक्ति आपको दुनिया में कामयाब बना सकती है ना कि कोई आसमानी शक्ति, जैसे की हमारे अन्दर भगवान या खुदा की शक्ति मौजूद है तो बस उसी शक्तियो को आप अपने विचारों की शक्तियों से जोड़ दीजिए ताकि आपके विचारों की शक्ति भगवान की शक्तियो से जुड़ सके। यकीन मानिए जिस दिन आप ऐसा कर पाएंगे तो दुनिया आप के विचारो पर चलेगी, लेकिन याद रहें जब कुदरत आप को आपकी शक्तियों से मिलाती है तो उसका मकसद मानवजाति का विकास होता है न कि उन्हें गुमराह करने के लिए।

एक दिन की बात है अल्बर्ट आइंस्टीन रात के समय अपने घर के एक कमरे में तनहा बैठे हुए थे। वे किसी गहरी सोच में डूबे हुए थे अचानक उन्हें लगा कि जैसे घर के चारो तरफ की दीवार और छत गायब हो गई हो, लेकिन ऐसा नहीं हुआ था। चीजें अपनी अपनी जगह पर ही मौजूद थी, लेकिन उस वक़्त उनकी सोचने की शक्ति ने उनके ब्रेन के उस हिस्से को खोल दिया था जिस हिस्से में पहुंचना मानवजाति के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता है।

मानवजाति में वे कई शक्तियाँ छुपी होती है, जिसके जरिए मानवजाति दुनिया के किसी भी हिस्से को घर में बैठे देख सकती है। जैसे कि ऋषि मुनियों में कुछ ऐसे महान ऋषि मुनि हुए हैं जो ब्रह्मांड के किसी भी हिस्से में आ जा सकते थे और देख भी सकते थे। वजह एक ही थी कि उनके ब्रेन की वे शक्तियां खुल चुकी थी जिसके कारण उनके आंखों में एक अदभूत चमत्कारी शक्ति आ जाती है जिन शक्तियों के जरिए दीवार के आर-पार की चीजें भी दिखना शुरु हो जाती है, सिर्फ यहां तक ही नहीं बल्कि आकाशगंगा के किसी भी ग्रह को या फिर किसी ग्रह के अंदर की बारीक से बारीक चीजें भी देखी जा सकती थी। अगर वे आसमान की तरफ अपनी नज़र उठाकर देखते तो उन्हें आकाशगंगा में ऊर्जाओं का तालमेल होता हुआ उन्हें नजर आने लगता था। जो यहां से लाखों, करोड़ों मील दूर हैं, जिन्हें हम बिना दूरबीनों के देख नहीं सकते। आकाशगंगा को उन्होंने अपनी सामान्य आखों से देखा था। उन्हें ये शक्तियां कुछ समय के लिए मिली थी। बस आप को भी अपनें अन्दर की शक्तियों को समझना होगा ताकि दुनिया में आप को भी कामयाबी मिल सके। अगर हम किसी धर्म गुरु के पास ज्ञान पाने के लिए जाते हैं भले ही वह किसी भी मजहब का हो। अगर वह गुरु आप को अपना शिष्य बनाता है तो यही ज्ञान देता है कि मेरे बच्चे तेरी तलाश अब खत्म हुई। उन आसमानी शक्तियों को दुनियां या ब्रह्मांड में अब तुम्हें ढूंढने की जरुरत नहीं है, क्योंकि जिन शक्तियों को ढूंढने के लिए मानवजाति बरसों से आसमान की तरफ़ देखती आई है वह हमारे अंदर ही मौजूद है। जिन शक्तियों की खोज में हमारे पूर्वजों ने हजारों साल बिता दिए हैं उन शक्तियों को पहचाने के लिए तुम्हे खुद में डूबना होग। जैसे कि हमने आपको बताया है कि वह शक्ति या तो किसी संत, फकीर के पास मिलेगी या फिर विज्ञान के पास।

आप के लिए एक छोटी सी कहानी लिख रहा हूं ताकि आपको अपने अंदर की शक्तियों का एहसास हो सके। एक राजा थे। जिनकी कोई संतान नहीं थी। वंश को चलाने के लिए संतान की जरुरी थी। एक दिन रानी ने उनसे कहा कि हे राजन, हमारी प्रजा में अफवाह फैली है कि एक महान संत हमारे राज्य में आए हैं क्यों ना हम उन्हें अपने महल में बुलाएं और अपनी समस्या बताएँ। राजा ने कहा हे रानी, संतों को बुलाया नहीं जाता है वो ईश्वर और खुदा के बहुत करीब होते हैं। ये हम लोगों का खुश-नशीबी है की वो हमारे राज्य में आए। उनके पास हमें जाना चाहिए। राजा रानी एक दिन संत के पास पहुंचते हैं और उन्हें अपनी तकलीफ सुनाते हैं। गुरु महाराज कहते हैं राजन, आप चिंता ना करे। आप को संतान अवश्य प्राप्त होगी। कुछ महीनों बाद राजा को एक संतान प्राप्त होती है। जिसके बाद राजा और रानी अपनी संतान को लेकर उस सन्त के पास जाते है और साथ ही कीमती वस्तुएं भी है उनमें पारस पत्थर भी थे। जिसके बारे में कहा जाता था कि पारस पत्थर के छूते ही कोई भी वस्तु सोने की हो जाती थी।

राजा ने पारस पत्थर को गुरू के कदमों में रखते हुए कहा कि गुरु देव पारस पत्थर को गुरू दक्षिणा के रुप में स्वीकार कीजिए। गुरु जी ने मुस्कुराते हुए राजा से कहा, हे राजन वो जो सामने छोटा पत्थर नजर आ रहा है उसे मेरे पास लेकर आईये। राजा उठे और उस पत्थर को लाकर गुरू के हाथ में रख दिया। जिसके बाद उस पत्थर को गुरू ने अपने मस्तक से लगाकर राजा के हाथ पर रख दिय। राजा इस चमत्कार को देखकर हैरान रह गए। वह पत्थर सोने का बन चुका था। राजा की परेशानी देखकर गुरू जी ने कहा, हे राजन जिसका शरीर ही एक पारस पत्थर है उसे दुनिया के पारस पत्थर की क्या ज़रूरत है ? आप खुद ही एक पारस पत्थर हैं। अपने आप को पहचानों। जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं कि हिरन के शरीर में ही कस्तूरी छिपी रहती है, लेकिन उस कस्तूरी की तलाश में हिरन जंगलों मे भटकता रहता है यह सोचते हुए की आखिर ये खुशबू आ कहां से रही है ? बस उसी तरह हम भी पारस पत्थर हैं और शक्तियां हमारे अन्दर ही मौजूद है, लेकिन हम उसकी तलाश आसमान और जंगलों में करते हैं। मैं ये नही कह रहा हूं कि आप पारस बन जाइए। अपने विचारो को पारस बनाइए ताकि दुनिया में आप के विचारो की कद्र हो।

आप लोगों को समझाने का मक़सद बस इतना है कि आप अपने अंदर मौजूद शक्तियों को समझने की कोशिस करें। जो शक्ति हमें भगवान या खुदा की तरफ से मिली है हम उन शक्तियों के जरिए अपना, मानवजाति और आनेवाले भविष्य का विकास करने के साथ ही सतत आगे बढ़ते रहें। मैने जो भी अब तक लिखा है मेरी नजर में वह एक अच्छा विचार है। आप इन विचारो को किन नज़रों से देखते हैं यह आप पर निर्भर है। मेरा हर विचार आपकी कामयाबी के लिए होता है और मेरा हर एक शब्द आपके विचारों के लिए लिखा जाता है। जय हिन्द जय मातृभूमि।

R Rajvardhan

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