जानिए क्यों रखा जाता है वट सावित्री व्रत? घर में रहकर कैसे करें पूजा-व्रत

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हिंदू परंपरा में स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए तमाम व्रत का पालन करती हैं. वट सावित्री व्रत भी सौभाग्य प्राप्ति के लिए बड़ा व्रत माना जाता है. ये ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पती की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और बरगद की पूजा करती हैं. हालांकि लॉकडाउन की वजह से महिलाएं इस बार पारंपरिक तरीके से बरगद के पेड़ के नीचे पूजा नहीं कर पाएंगी.

कब है वट सावित्री व्रत?

अमावस्या तिथि 21 मई को रात 09:35 बजे से शुरू हो जाएगी जो 22 मई को रात 11:08 बजे तक रहेगी. इसलिए इस बार वट सावित्री व्रत 22 मई को ही पड़ रहा है. इस व्रत में नियमों का विशेष ख्याल रखना पड़ता है.

क्यों मनाया जाता है वट सावित्री व्रत?

पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन ही सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे. महिलाएं भी इसी संकल्प के साथ अपने पति की आयु और प्राण रक्षा के लिए व्रत रखकर पूरे विधि विधान से पूजा करती हैं.




लॉकडाउन में कैसे करें पूजा?

इस दिन वट (बरगद) के पूजन का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश और सावित्री भी वट वृक्ष में ही रहते हैं. लम्बी आयु , शक्ति और धार्मिक महत्व को ध्यान रखकर इस वृक्ष की पूजा की जाती है लेकिन इस बार लोगों को यह पूजा अपने घरों में ही रहकर करनी होगी.

पूजा स्थल पर पहले रंगोली बना लें, उसके बाद अपनी पूजा की सामग्री वहां रखें.

– अपने पूजा स्थल पर एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी नारायण और शिव-पार्वती की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें.

– बरगद के पेड़ की पूजा त्रिदेव के रूप में ही की जाती है. अगर आप बरगद के पेड़ के पास पूजा करने नहीं जा सकते हैं तो आप अपने घर में ही त्रिदेव की पूजा करें. साथ ही अपने पूजा स्थल पर तुलसी का एक पौधा भी रख लें.

– अगर उपलब्ध हो तो आप कहीं से बरगद पेड़ की एक टहनी तोड़ कर मंगवा लें और गमले में लगाकर उसकी पारंपरिक तरीके से पूजा करें.

– पूजा की शुरूआत गणेश और माता गौरी से करें. इसके बाद वट वृक्ष की पूजा शुरू करें.

– पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल तथा धूप का प्रयोग करें.

– फिर भीगा चना, कुछ धन और वस्त्र अपनी सास को देकर उनका आशीर्वाद लें.

– इस व्रत में सावित्री-सत्यवान की पुण्य कथा का श्रवण करना न भूलें. यह कथा पूजा करते समय दूसरों को भी सुनाएं.

– निर्धन सौभाग्यवती महिला को सुहाग की सामग्री का दान करें.




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