नौसेना ने 34 साल की सेवा के बाद गोदावरी श्रेणी के निर्देशित-मिसाइल पोत ‘आईएनएस गोमती’ को शनिवार को सेवामुक्त कर दिया. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि ‘ऑपरेशन कैक्टस’, ‘पराक्रम’ और ‘रेनबो’ में शामिल रहे पोत को यहां नौसैन्य डॉकयार्ड में सूर्यास्त के समय सेवामुक्त कर दिया गया.
पश्चिमी नौसैन्य कमान के फ्लैग ऑफिसर-इन-कमांड वाइस एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि गोमती को नौसेना द्वारा डिजाइन किया गया था और भारतीय शिपयार्ड में बनाया गया था. यह ‘आत्मानिर्भर भारत’ की दिशा में शुरुआती कदम थे. उन्होंने कहा कि इस श्रेणी के पोत के निर्माण के दौरान मिले अनुभव ने नौसेना को आगे आधुनिक पोत को तैयार करने में मदद की.
गोमती नदी के नाम पर इस पोत का नामकरण हुआ था. सिंह ने कहा कि पोत की विरासत को लखनऊ में गोमती नदी के तट पर बनाए जा रहे एक खुले संग्रहालय में रखा जाएगा, जहां उसकी कई युद्धक प्रणालियों को सैन्य तथा युद्ध अवशेषों के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह उत्तरी क्षेत्र के युवाओं को नौसेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करेगा.
सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार और भारतीय नौसेना ने इसके लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. उन्होंने कहा कि ‘आईएनएस गोमती’ को नए अवतार में भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा.
मौजूदा ‘आईएनएस गोमती’ को 16 अप्रैल, 1988 को तत्कालीन रक्षा मंत्री के सी पंत ने मझगांव डॉक में सेवा में शामिल किया था. पोत को 2007-08 में और 2019-20 में प्रतिष्ठित यूनिट प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया था. ‘आईएनएस गोमती’ के पूर्व संस्करण को 1979 में सेवामुक्त किया गया था.