देश के 68 हजार से अधिक गांवों के 3.82 लाख लोग टीबी से ग्रसित, खांसी हो तो न करें नजरअंदाज

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देशभर के 68,000 से अधिक गांवों में घर-घर जाकर 1 करोड़ से अधिक लोगों की टीबी की जांच की गई है. 1 करोड़ लोगों में से 3,82,811 लोगों में टीबी पाई गई है.

भारत के 174 जनजातीय जिलों में टीबी के सक्रिय मामलों का पता लगाने के लिए यह खास अभियान इस वर्ष 7 जनवरी को शुरू किया गया. इसे महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में शुरू किया गया था. इस पहल के तहत कुल 68,019 गांवों में टीबी की घर-घर जाकर जांच की गई.

1 करोड़ 3 लाख से अधिक व्यक्तियों की मौखिक जांच के आधार पर 3,82,811 लोगों में टीबी होने की पहचान की गई थी. इनमें से 2,79,329 (73 प्रतिशत) नमूनों की टीबी के लिए जांच की गई और 9,971 लोग टीबी के लिए पॉजिटिव पाए गए जिनका भारत सरकार के प्रोटोकॉल के अनुसार इलाज किया गया.

केद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय तथा टीबी प्रभाग ने 24 अगस्त को राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई), नई दिल्ली में ‘जनजातीय टीबी पहल’ के तहत 100 दिवसीय आश्वासन अभियान की विशेषताओं का प्रचार करने के लिए एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया.

‘जनजातीय टीबी पहल’ जनजातीय कार्य मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के केंद्रीय टीबी प्रभाग की एक संयुक्त पहल है, जिसे यूएसएआईडी द्वारा एक तकनीकी भागीदार और पीरामल स्वास्थ्य द्वारा कार्यान्वयन भागीदार के रूप में समर्थन प्राप्त है.

जनजातीय कार्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव, डॉ. नवलजीत कपूर ने कहा कि आश्वासन अभियान लगभग 2 लाख सामुदायिक प्रभावशाली व्यक्तियों को एक मंच पर लाया है, जिन्होंने इस अभियान को सफल बनाने के लिए भाग लिया.

आदिवासी नेता, आदिवासी उपचारकर्ता, पीआरआई सदस्य, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) और आदिवासी क्षेत्रों के युवा शामिल हैं, जो जांच (स्क्रीनिंग) प्रक्रिया और सामुदायिक जागरूकता के इस अभियान का हिस्सा थे.

विवेकानंद गिरी, डीडीजी केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सीटीडी की जनजातीय टीबी पहल प्रस्तुत की. एडीजी डॉ. रघुराम राव ने कहा कि केंद्रीय टीबी प्रभाग टीबी से निपटने लिए जनजातीय समुदायों के साथ मिलकर काम करने का इच्छुक है.

आश्वासन अभियान के माध्यम से जो डेटा सामने आया है, उसके साथ सीटीडी टीबी के प्रमुख केंद्रों का मानचित्रण करेगा और उसका शुरूआती बिंदु के रूप में उपयोग करेगा.

भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर, 75 अधिक बोझ वाले जनजातीय जिलों को आगामी महीनों में ध्यान केंद्रित करने के लिए चुना गया है. ऐसे 75 जिलों के लिए एक त्रिस्तरीय रणनीति प्रस्तुत की गई है.

इसके तहत समुदाय को एकजुट करने, टीबी लक्षणों, प्रसार और उपचार प्रक्रियाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने तथा इस कलंक को मिटाने और टीबी से जुड़े भय को दूर करने के लिए इस प्रक्रिया के दौरान शामिल किए गए हैं. सामुदायिक प्रभावकों के साथ निरंतर जुड़ाव के माध्यम से टीबी सेवाओं की मांग का सृजन करना भी उद्देश्य है.

आगे के मार्ग के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. शोभा एक्का, चीफ ऑफ पार्टी, पीरामल स्वास्थ्य, जनजातीय टीबी पहल ने कहा कि पीरामल स्वास्थ्य भारत में रहने वाले लाखों आदिवासी लोगों के स्वास्थ्य और भलाई के लिए मजबूती के साथ प्रतिबद्ध है और इसका यह मानना है कि भारत को टीबी मुक्त बनाने के लिए टीबी मुक्त जनजातीय समुदाय प्रमुख आधारशिला हैं.

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