अखिलेश ने रामगोविन्द चौधरी को बनाया नेता विपक्ष

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उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में बीजेपी इतने प्रचंड बहुमत से जीती कि विपक्ष का सफाया हो गया। दूसरे नंबर पर  रहने वाली समाजवादी पार्टी को महज़ 47 सीटें ही मिलीं। लेकिन अखिलेश यादव ने एक बार फिर पार्टी में अपनी मर्जी से विपक्ष का नेता चुन लिया है। ये आज़म खां या फिर शिवपाल न होकर 70 साल के रामगोविन्द चौधरी है।  जो इस बार बलिया की बांसडीह सीट से आठवीं बार विधायक बने हैं।

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दरअसल रामगोविन्द ने छात्र नेता के तौर पर अपना राजनीतिक सफर शुरू किया और पहली बार साल 1977 में चिलकहर विधानसभा सीट से जनता पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए थे। लेकिन जब 1993 में  सपा-बसपा गठबंधन ने चुनाव लड़ा तो चौधरी चिलकहर सीट से जनता दल के टिकट पर लड़े और बसपा कैंडिडेट से हार गए.

1996 में वो  फिर चंद्रशेखर की समाजवादी जनता पार्टी के टिकट पर चिलकहर से लड़े और चौथे नंबर पर रहेथे। 2002 में वो इसी पार्टी से बांसडीह सीट से लड़े और चुनाव जीत गए। 2003 की मुलायम सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया। वहीँ 2007 की बसपा लहर में वो चुनाव हारे, लेकिन जब साल 2012 में जीते तो अखिलेश ने फिर उन्हें अपनी कैबिनेट में मंत्री बनाया।

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मौजूदा समय में रामगोविन्द समाजवादी पार्टी के सबसे वरिष्ठ  विधायक हैं। अखिलेश-शिवपाल झगड़े के बाद वो अखिलेश गुट के प्रमुख सदस्य बन गए थे।

वहीँ 2002-03 में आजम खान नेता विपक्ष थे। 2007 से 2009 तक मुलायम खुद नेता विपक्ष रहे। 2009 में वो जब लोकसभा चले गए तो 2012 तक  शिवपाल यादव को विपक्ष का नेता बनाया गया था।

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