दिल्ली हिंसा : पुलिस के विरोध नहीं करने पर उच्च न्यायालय ने सफूरा ज़रगर को मानवीय आधार पर दी जमानत

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक निजी स्कूल के मालिक को पुलिस की याचिका पर जवाब देने के लिए वक्त दे दिया. पुलिस ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के एक मामले में स्कूल मालिक को जमानत देने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है.

शिव विहार इलाके में स्थित राजधानी स्कूल के मालिक फैसल फारूक समेत 18 लोगों को पड़ोस में बने डीपीआर कॉन्वेंट स्कूल में आगज़नी और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने कहा कि चार दिन में जवाब दाखिल किया जाए और मामले को एक जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

उच्च न्यायालय ने फारूक को जमानत देने के निचली अदालत के आदेश पर सोमवार को रोक लगा दी थी और कहा था कि अगर आरोपी अब भी हिरासत में है तो अगले आदेश तक उन्हें रिहा नहीं किया जाए.दिल्ली पुलिस की ओर से जब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने अपनी दलीलें रखनी शुरू कीं तो न्यायाधीश ने राज्य की ओर से पेश होने को लेकर सोमवार को उपजे विवाद के समाधान के बारे में पूछा और जानना चाहा कि इसमें क्यों अनावश्यक हस्तक्षेप हुआ था.

इस मामले में सोमवार को सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और दिल्ली सरकार के स्थायी अधिवक्ता (अपराध) राहुल मेहरा के बीच बहस हो गई थी. मेहरा ने कहा था कि केंद्र सरकार के पास निचली अदालत के 20 जून के आदेश के खिलाफ याचिका दायर करने का कोई अधिकार नहीं है.बाद में सालिसीटर जनरल के स्थान पर अमन लेखी इस मामले पेश हुये और उन्होंने कहा कि इस हालत में वह याचिका से अपना नाम वापस लेने की अनुमति चाहते हैं.

मंगलवार को अदालत के पूछने पर लेखी ने कहा कि वह दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए थे जो भी सोमवार को हुआ उससे बचा जा सकता था और यह अनावश्यक था.लेखी ने कहा कि उन्हें मामले पर पेश होने का निर्देश मिला था, इसलिए वह कल पेश हुए. आज की सुनवाई में राहुल मेहरा पेश नहीं हुए जो बताता है कि उनकी आपत्ति सही नहीं थी.

उन्होंने दलील दी कि पुलिस ने 20 जून के आदेश को इसलिए चुनौती दी गई है क्योंकि यह पहली नजर में गैर जरूरी था. इस आदेश के तहत फारूक जमानत दी गई है. फारूक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने कहा कि पुलिस ने स्कूल मालिक को सोमवार को अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया और उन्हें हिरासत में ले लिया. उन्होंने याचिका पर जवाब देने के लिए वक्त मांगा.

दिल्ली पुलिस ने तीन जून को फारूक और 17 अन्य खिलाफ निजी स्कूल जलाने के आरोप में आरोप पत्र दायर किया था.निचली अदालत ने जमानत देने के अपने आदेश में कहा कि उनके खिलाफ दायर आरोप पत्र में उनके पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, पिंजरा तोड़ समूह और मौलानाओं से संबंध दर्शाने वाले तथ्यों की कमी है.

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