राष्ट्रीय पार्टियाँ आरटीआई कानून के दायरे में, चुनाव आयोग ने की पुष्टी

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चुनाव आयोग ने देश की राष्ट्रीय पार्टियों और उनके आरटीआई कानून के दायरे में होने की पुष्टी कर दी  है। चुनाव आयोग की तरफ से कहा गया है कि राष्ट्रीय पार्टियां सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत आने वाले सार्वजनिक प्राधिकरण हैं, जैसा कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने उनके संबंध में घोषणा की है। हालाँकि इसके पहले चुनाव आयोग ने एक आरटीआई आवेदन का जबाब देते हुए कहा था कि  राजनीतिक पार्टियां आरटीआई कानून के दायरे से बाहर हैं।

दरअसल महाराष्ट्र में पुणे के  रहने वाले विहार धूर्वे ने एक आरटीआई के जरिय देश की छह राष्ट्रीय पार्टियों कांग्रेस, भाजपा, राकांपा, बसपा, माकपा और भाकपा द्वारा चुनावी बॉन्ड के रुप में प्राप्त चंदे का विवरण माँगा था। जिसके बाद उनकी पहली अपील पर चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी की तरफ से कहा गया कि मांगी गई जानकारी आयोग के पास उपलब्ध नहीं है। यह राजनातिक पार्टियों से जुड़ा हुआ मामला है और वे आरटीआई के दायरे से बाहर हैं।

लेकिन अब चुनाव आयोग ने एक बयान जारी कर साफ़ कर दिया है कि राष्ट्रीय पार्टियों को आरटीआई कानून से जुड़े आशयों के लिए सार्वजनिक प्राधिकरण घोषित करने के सीआईसी के तीन जून , 2013 के एक आदेश का वह अनुपालन करता है। सीआईसी के आदेश में इस बारे में कहा गया था कि इन पार्टियों द्वारा प्राप्त किए जाने वाले चंदों के साथ ही उनके वार्षिक ऑडिटेड खातों की सूचना आयोग को कब सौंपी गई, इसकी जानकारी सार्वजनिक की जाएगी। 

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