क्या आप जानते हैं भारत माता की तस्वीर कब और किसने बनाई…?

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आज हम सब भारत माता की जो तस्वीर देखते हैं, वो तस्वीर कैसे और कब बनी यह किंचित लोग ही जानते होंगे। आज हम आपको भारतीय समाचार  के माध्यम से यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि भारत माता की तस्वीर कैसे,कब बनी और किसने बनाई ?

भारत माता की तस्वीर को 19वीं सदी के अंत में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान तैयार किया गया था। किरन चंद्र बनर्जी ने एक नाटक लिखा था जिसका शीर्षक था “भारत माता”। जिसका मंचन वर्ष 1873 में हुआ था। यहीं से “भारत माता की जय” की एक पवित्र पंक्ति नारों के रूप में गुंजायमान हो उठी।

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने वर्ष 1882 में एक उपन्यास लिखा जिसका नाम “आनंदमठ” रखा गया। इस उपन्यास के माध्यम से उन्होंने राष्ट्र को पहली बार “वन्देमातरम” गीत दिया। लेकिन समयानुसार बिपिन चंद्रपाल ने इसको विस्तृत स्वरूप दिया।उन्होंने भारत माता को हिन्दू दर्शन और आध्यात्मिक कार्यों से बड़े हृदयाभाव से जोड़ा। बिपिन चंद्रपाल ने भारत माता को एक विश्व एक राष्ट्र के सुहृदय विचारों से जोड़ना शुरू किया।

भारत माता को एक तस्वीर में पिरोने का श्रेय अबनिन्द्रनाथ टैगोर को जाता है। उन्होंने भारत माता को चार भुजाओं वाली देवी की प्रतिमा की तरह दिखाते हुए एक पेंटिंग तैयार की। भारत माता एक हाथ में पुस्तक ली हुई हैं और सफेद साड़ी पहने हुई हैं। उन दिनों भारत माता की तस्वीर राष्ट्र के लोगों की भावनाओं को देश की अखण्ड मजबूती देने का काम किया।

स्वामी विवेकानंद जी की शिष्या रहीं  सिस्टर निवेदिता ने भारत माता की इस पेंटिंग तस्वीर को आखिरी और सुविस्तृत स्वरूप दिया। 28 अक्टूबर 1867 को सिस्टर निवेदिता का जन्म हुआ था। इनका वास्तविक नाम मार्गरेट एलिजाबेथ था। लेकिन स्वामी विवेकानंद जी ने दीक्षा उपरांत इनका नाम बदल कर सिस्टर निवेदिता रखा।

सिस्टर निवेदिता ने भारत माता को हरियाली से परिपूर्ण स्वरूप की धरती पर खड़ा दिखायीं,जिनके पीछे नीला आसमान और चरणों में चार कमल पुष्प थे। भारत माता की चार भुजाएं आध्यात्मिक ताकत की स्वरूप बनीं। सिस्टर निवेदिता ने भारत माता की इस तस्वीर के माध्यम यह पूर्णरूप से दर्शाने की पूरी कोशिश की हैं कि भारत माता ने देश के लोगों को शिक्षा, दीक्षा, वस्त्र और अन्न आदि जैसे उपहार भेंट किए हैं। इसके बाद सुब्रह्मण्यम भारती जो स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहे, उन्होंने भारत माता की सम्पूर्ण व्याख्या गंगा की धरती के तौर पर की और भारत माता को प्राशक्ति के तौर पर पहचाना।  उन्होंने कहा था कि अपनी गुरु सिस्टर निवेदिता से मिलने के साथ भारत माता के भी दर्शन किए।

( शिवरतन कुमार गुप्ता )

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