धन कुबेरों के राज खोलेगा बिग डेटा

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मुंबई : नोटबंदी के बाद बैंकों में बड़े पैमाने पर करेंसी नोट जमा कराने वालों पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट बड़ी कार्यवाही कर सकता है। खबर आ रही है कि  ईमानदार टैक्स पेयर्स के बीच से ब्लैक मनी छिपाने वालों को छांटने और फिर उनपर कार्यवाही करने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट बिग डेटा का इस्तेमाल करने जा रहा है। बिग डेटा एक ऐनालिटिक्स टूल है जो टोटल इनकम टैक्स डेटा चेक करके गड़बड़ियों के बारे में बताएगा। इसके आधार पर टैक्स अधिकारी 31 दिसंबर के बाद लोगों को नोटिस भेज सकेंगे। 

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टैक्स पेमेंट बेहतर बनाने के लिए सरकार ने मई  २०१६  में टैक्स ऐनालिटिक्स का इस्तेमाल करना शुरू किया था। अब उम्मीद की जा रही है कि टैक्स डिपार्टमेंट कॉर्पोरेट टैक्स और पर्सनल टैक्स के डेटा जुटाकर उनका मिलना करेगा। यह पहला मौका होगा जब सरकार पर्सनल टैक्स के लिए बहुत बड़े पैमाने पर टैक्स ऐनालिटिक्स टूल का इस्तेमाल करने जा रही है। इसके पहले सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स रिपोर्टिंग के कुछ मामलों में बिग डेटा का इस्तेमाल किया है। 

सूत्रों के मुताबिक ऐनालि‌टिक्स टूल से न सिर्फ यह पता चलेगा कि किसी व्यक्ति ने बैंकों में कितना पैसा जमा कराया है। बल्कि यह भी जानकारी मिलेगी कि उसने पहले के वर्षों में कितना इनकम टैक्स चुकाया था। इससे यह भी पता चलेगा कि अगर उस व्यक्ति की कोई कंपनी है तो  कंपनी ने कितना कॉर्पोरेट टैक्स चुकाया है ? क्या उसका कोई एंप्लॉयी है और क्या उन्होंने हाल में बैंक में पैसा जमा किया है। इस तरह व्यवहारिक तौर पर व्यक्ति  की टैक्स हिस्ट्री की छोटी से छोटी  डिटेल भी पता चल सकेगी । फ़िलहाल सरकार सिर्फ संदिग्ध बैंक डिपॉजिट को निशाना बनाने की योजना बना रही है। पिछले महीने आयकर अधिनियम की धारा 115BBE में संशोधन वाला बिल पास किया था। उसमें कैश डिपॉजिट, अघोषित आय या निवेश पर 60 प्रतिशत टैक्स लगाने का प्रस्ताव है। नया टैक्स लॉ 1 अप्रैल से लागू होगा। सरकार बैंक अकाउंट्स में ब्लैक मनी जमा कराने वालों पर लगभग 50 से 70 प्रतिशत टैक्स लगा सकती है।

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लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि आयकर अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन में यह जिक्र नहीं है कि इसके दायरे में कब तक के मामले आएंगे। ऐसे में टैक्स अधिकारी हर उस शख्स से सवाल जवाब कर सकते हैं जिन्होंने 1 अप्रैल 2016 के बाद से अपने खातों में पैसा जमा कराया होगा।

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