Morbi Bridge हादसे पर Gujarat High Court ने कहा, ‘मुआवजे का सवाल है, कंपनी को सकारात्मक समाधान और ठोस चीजों के साथ सामने आना होगा’

Must Read
Bhartiya Samachar
Bhartiya Samachar
भारतीय समाचार | भारत की ताजा खबर| लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट, हिंदी समाचार

गुजरात हाई कोर्ट ने कहा कि 2022 में ढह गए मोरबी सस्पेंशन ब्रिज के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार ओरेवा समूह को पीड़ितों के परिजनों को मुआवजे के भुगतान के संबंध में एक ‘सकारात्मक समाधान’ के साथ सामने आना चाहिए. मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध पी मायी की खंडपीठ 30 अक्टूबर, 2022 को मोरबी में मच्छू नदी पर ब्रिटिश काल के झूला पुल के ढहने पर स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी. अदालत ने कहा कि जहां तक मुआवजे का सवाल है, कंपनी को ‘सकारात्मक समाधान और ठोस चीजों के साथ सामने आना होगा.’’

मुख्य न्यायाधीश अग्रवाल ने मौखिक रूप से कहा, ‘आज की तारीख में, हम आधे-अधूरे मन से कुछ भी नहीं कर रहे हैं. उन्हें (कंपनी को) एक सकारात्मक समाधान के साथ आना होगा और ठोस चीजें होनी चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘आपको (मुआवजे के लिए) एक ट्रस्ट बनाना होगा… हमने पिछली बार जो सुझाव दिया था वह यह है कि आपको हर किसी का उसकी आखिरी सांस तक ख्याल रखना होगा….यदि कोई ट्रस्ट होगा, तो एक निकाय होगा और वह निकाय इसकी देखरेख कर सकता है.’ अदालत ने कहा कि जहां तक कंपनी द्वारा पीड़ितों को मुआवजे के भुगतान का सवाल है, कंपनी इस बारे में प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही अधिकृत प्राधिकारियों का हलफनामा पेश करेगी कि चीजों को कैसे आगे बढ़ाया जाएगा. अदालत ने मामले की अगली सुनवायी की तिथि 26 फरवरी तय की.

अदालत के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए, राज्य सरकार ने उन घायल व्यक्तियों का विवरण प्रदान किया, जिन्हें मानसिक उपचार की आवश्यकता थी और जो 40 प्रतिशत या उससे अधिक की विकलांगता से पीड़ित हैं. सरकार ने अपने हलफनामे में घटना में मारे गए लोगों की पत्नियों और आश्रित बुजुर्ग माता-पिता और घटना के बाद अनाथ बच्चों और ऐसे बच्चों का विवरण भी प्रदान किया जिन्होंने अपने माता-पिता में से किसी एक को गंवा दिया. महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने कहा कि पीड़ितों के संबंध में एक आकलन किया गया था और कंपनी को यह गौर करने के लिए विवरण प्रदान किया गया है ‘‘मुआवजे की उचित मात्रा का निर्णय किया जाए और कंपनी इस पर निर्णय ले सके.’’

उन्होंने कहा कि घटना में घायल हुए 74 लोगों में से 18 को मामूली चोटें आयीं और कुछ दिनों के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई और अन्य 56 को आगे के उपचार की आवश्यकता है. त्रिवेदी ने अदालत को बताया कि इन लोगों में से तीन को 40 प्रतिशत या उससे अधिक की विकलांगता का सामना करना पड़ा है. उन्होंने कहा कि इस त्रासदी में दस महिलाओं ने अपने पतियों को खो दिया और उनमें से चार ने ओरेवा समूह द्वारा दी गई नौकरी के लिए अपनी सहमति दे दी है. उन्होंने कहा कि उनमें से छह ने नौकरी से इनकार कर दिया, क्योंकि एक पहले से ही एक कंडक्टर के रूप में काम कर रही थी और एक अन्य महिला ने कहा कि उसे केवल एक सिलाई मशीन की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि दो अन्य महिलाओं के परिवारों ने उन्हें नौकरी करने की अनुमति नहीं दी और एक ने कहा कि उसे एक बच्चे की देखभाल करनी है और वह घर से बाहर नहीं जा सकती. त्रिवेदी ने कहा कि बच्चों के मामले में, सात अनाथ हो गए हैं और 14 ने अपने माता-पिता में किसी एक को खो दिया है. ओरेवा समूह की ओर से पेश वकील निरुपम नानावटी ने कहा कि कंपनी पीड़ितों को ‘हर संभव सहायता’ प्रदान करेगी और मुआवजे के संबंध में विवरण प्रस्तुत किया गया है.

Bhartiya Samachar

भारतीय समाचार | भारत की ताजा खबर| लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट, हिंदी समाचार

- Advertisement -
- Advertisement -
- Advertisement -
Latest News
- Advertisement -

More Articles Like This

- Advertisement -
- Advertisement -