कर्नाटक की राजनीति इन दिनों सुर्ख़ियों में है। बीते दिनों राज्य में संपन्न हुए चुनावों के बाद पहले तो सरकार बनाने को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच जबरदस्त जंग देखने को मिली, फिर मंत्रिमंडल में पद को लेकर खींचतान और अब आगामी बजट को लेकर कांग्रेस और जेडी (एस) आमने सामने हैं।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से ही सूबे में भगवा रंग सुर्ख़ियों में है।ताजा मामला हरदोई का है जहाँ पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे से ही पहले वहां टॉयलेट की टाइल्स तक को ही भगवा रंग दे दिया गया।
२०१४ में जब मोदी लहर चली तो भारतीय जनता पार्टी का विजय रथ मानो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था . भारत के लगभग हर कोने में बीजेपी ने अपना झंडा लहरा दिया. इस जीत के लिए बीजेपी के कई राजनीतिक जुमले काम आये जो सियासी पंडितो द्वारा तैयार कर अपने मतदाता को लुभाने के लिए प्रयोग किया गए
अखिलेश ने ट्वीट करके कहा, 'जब रिमोट के चिप से पेट्रोल की चोरी बिना किसी इंटरनेट कनेक्शन के हो सकती है तो ईवीएम से वोट भी। टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल रोकना होगा।'
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में बीजेपी इतने प्रचंड बहुमत से जीती कि विपक्ष का सफाया हो गया। दूसरे नंबर पर रहने वाली समाजवादी पार्टी को महज़ 47 सीटें ही मिलीं। लेकिन अखिलेश यादव ने एक बार फिर पार्टी में अपनी मर्जी से विपक्ष का नेता चुन लिया है। ये आज़म खां या फिर शिवपाल न होकर 70 साल के रामगोविन्द चौधरी है। जो इस बार बलिया की बांसडीह सीट से आठवीं बार विधायक बने हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा की करारी हार पर मुलायम सिंह यादव ने बेटे अखिलेश का बचाव किया है। नेता जी ने कहा कि सपा और कांग्रेस गठबंधन ने मिलकर चुनाव लड़ा। ऐसे में किसी एक व्यक्ति को हार के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।